Lok Sabha Elections-2024 : माना जाता है कि दिल्ली की कुर्सी का रास्ता यूपी से होकर जाता है, क्योंकि यहां पर लोकसभा की सबसे अधिक सीटें हैं. ऐसे में अगर कोई दल यूपी को साध लेता है तो समझो केंद्र की सत्ता उसके हाथ में आ गई. इसी को देखते हुए भाजपा ने यूपी में हर जाति-वर्ग को साधने के लिए अपने “त्रिमूर्ति’ को बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी है और इसी के साथ ही लोकसभा चुनाव में घेरने की जुगत भिड़ा रहे विपक्षी दलों की काट भी ढूंढ ली है. माना जा रहा है कि यूपी में भाजपा को हरा पाना फिलहाल विपक्षी दलों, खासकर सपा के लिए मुश्किल दिखाई दे रहा है, क्योंकि इस बार सपा भाजपा को लोकसभा की सभी 80 सीटों पर टक्कर देने का दावा कर रही है और इंडिया गठबंधन के सहारे दिल्ली की कुर्सी तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है.
बता दें कि हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तीन राज्यों में जीत हासिल की है और इन तीन राज्यों में बनाए गए मुख्यमंत्रियों के सहारे ही बीजेपी यूपी की जातीय गणित को साधने की जुगत भिड़ा रही है. राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय, जो कि वर्तमान में भाजपा की त्रिमूर्ति बन चुके हैं, के जरिये यूपी में जातीय गणित साधने की योजना बनाई है. खबरों के मुताबिक, बीजेपी ने ब्राह्मण (भजनलाल शर्मा), यादव (मोहन यादव) और जनजातीय नेता (विष्णुदेव साय) को अपने-अपने समाज के बीच यह संदेश पहुंचाने को कहा है कि राजस्थान में ब्राह्मण, एमपी में यादव (पिछड़े) और छत्तीसगढ़ में एक सामान्य आदिवासी परिवार के कार्यकर्ता को सीएम बनाकर भाजपा ने उनके समाज का सम्मान बढ़ाया है. इस तरह से पार्टी लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण, यादव व आदिवासी समाज के बीच अपने सियासी प्रयोग का फायदा उठाना चाहती है. इसके लिए भाजपा ने तीनों जातियों के मुख्यमंत्री को अपने-अपने जनप्रतिनिधियों के बीच जाने के लिए सक्रिय कर दिया है. इसी के साथ ही यादव समाज से जुड़े नेता और पदाधिकारी जहां मोहन यादव को सीएम बनाने के लिए पीएम मोदी का आभार जताते हुए पोस्टर, बैनर और होर्डिंग्स के जरिये इसका प्रचार किया जा रहा है तो वहीं ब्राह्मण समाज के नेता भी भजनलाल शर्मा को सीएम बनाने के लिए पार्टी नेतृत्व का आभार जता रहे हैं. इसी के साथ ही विष्णुदेव साय के जरिए जनजाति समुदाय को साधने का भी प्रयास किया जा रहा है. वहीं इन सबके बीच में यादव महासभा ने मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर भाजपा का आभार व्यक्त किया है.
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बता दें कि उत्तर प्रदेश में एक लंबे अर्से से कोई ब्राह्मण चेहरा मुख्यमंत्री नहीं हुआ है तो वहीं यादव समाज पर अपना एकाधिकार समझने वाली सपा जब भी सत्ता में आई तो सरकार की कमान हमेशा ही नेतृत्व वाले परिवार में ही रही. ऐसे में भाजपा ने यूपी में ब्राह्मण डिप्टी सीएम के बाद राजस्थान में सीएम बनाकर जनता के बीच ये संदेश दिया है कि ब्राह्मणों का सम्मान भाजपा में ही है. तो वहीं मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य में यादव समाज के हाथ में सीएम की बागडोर देकर बीजेपी ने मध्य प्रदेश से लेकर यूपी और बिहार तक में ये संदेश दे दिया है कि भाजपा किसी के साथ भेदभाव नहीं करती है और भाजपा में कोई भी किसी भी पद पर पहुंच सकता है, चाहे वह यादव ही क्यों न हो. यह भी बताया जा रहा है कि यादव समाज सपा में नेतृत्व का पद तो कभी नहीं पा सकता. क्योंकि जब भी ऐसा अवसर आएगा, अखिलेश यादव या उनका परिवार ही मौका पाएगा. ऐसे में अखिलेश यादव के बाहर के यादव परिवार को कभी में सपा में मौका ही नहीं मिलेगा. इस तरह से बीजेपी जनता के बीच ये संदेश देने का काम कर रही है कि यादव समाज का सम्मान अगर कहीं है तो वह है भाजपा. ठीक इसी तरह यूपी में आदिवासी मतदाताओं को भी साधने की कोशिश है. हालांकि यूपी में आदिवासी मतदाताओं की संख्या कुछ अधिक तो है नहीं, पूर्वांचल की कुछ सीटों को यह समुदाय प्रभावित करता है. इस तरह से बीजेपी ने विष्णु देव साय के माध्यम से दलितों-आदिवासियों को यह संदेश देने की कोशिश शुरू की है कि, उनके हित बीजेपी में ही सुरक्षित है.
-भारत एक्सप्रेस
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