उत्तर प्रदेश के गौरीगंज (अमेठी) जिले से होकर गुजरने वाली नेशनल हाईवे-56 के चौड़ीकरण व दो बाईपास बनाने से पहले भूमि अधिग्रहण व भू-स्वामियों को मुआवजा देने में की गई भारी गड़बड़ी के लिए सिर्फ राजस्व विभाग जिम्मेदार नहीं है. तकरीबन 3 अरब 84 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा किया है, जिसमें मुसाफिरखाना तहसील में डिप्टी कलेक्टर रहे कई अफसर रडार पर आ गए है. इस घोटाले में एनएचएआई के अफसर भी बराबर के दोषी पाए गए हैं.
जमीन अधिग्रहण में तीन गुना अधिक मुआवजा बांटने के आरोप में अफसरों को दोषी पाया गाया है. जांच में पाया गया कि पूरा घोटाला एनएचएआई के अफसरों के साथ मिलकर किया गया. इस पूरे मामले में अमेठी जिला अधिकारी राकेश कुमार मिश्र ने 4 अधिकारियों की टीम बनाकर जांच रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी है. रिपोर्ट प्रशासन को भेजने के बाद सभी डिप्टी कलेक्टरों की धड़कने बढ़ने लगी है. सभी अफसर खुद को सही साबित करने की कवायद में लग गए हैं. इतना ही नहीं सभी डिप्टी कलेक्टर उच्च स्तर पर भी अपनी सांठ-गांठ बैठाने में लग गए हैं.
केंद्र सरकार ने 2016 में लखनऊ-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग को टू लेन से फोर लेन करने की मंजुरी दी थी. अमेठी से गुजरने वाले 49.50 किमी मार्ग पर जगदीशपुर और मुसाफिरखाना तक दो बाईपास का सर्वे किया गया था. दोनों बाईपास बनाने के लिए कुल 134 हेक्टेअर भूमि का अधिग्रहण किया गया था, जिसमें मुसाफिरखाना बाईपास के लिए 39 हेक्टेअर और जगदीशपुर बाईपास के लिए 95 हेक्टेअर जमीन अधिग्रहण किया गया था. इन्हीं जमीनों के मुआवजे में अफसरों ने खेल किया है. किसानों की कृषि योग्य भूमि को राष्ट्रीय राजमार्ग की जमीन के बराबर सर्किल रेट लगाकर मुआवजा दिया गया है. देखा जाय तो मुआवजा करीब 180 करोड़ बनता है, लेकिन राजस्व अधिकारियों ने 561 करोड़ का मुआवजा बांटा है. शुरुआती जांच में अभी तक करीब 380 करोड़ की अनियमितता सामने आई है.
–भारत एक्सप्रेस
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