Om Birla: लोकसभा स्पीकर पद के लिए ध्वनि मत से ओम बिरला को एक बार फिर से चुन लिया गया है. ओम बिरला को लोकसभा स्पीकर चुने जाने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी उनको आसन तक ले गए. इस मौके पर पीएम मोदी के साथ ही राहुल गांधी व सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी बधाई दी. बता दें कि भाजपा के नेतृत्व वाले NDA के उम्मीदवार ओम बिरला ने कांग्रेस के ‘के सुरेश’ को चुनाव में हराने के बाद जीत हासिल की है.
बता दें कि आज ओम बिरला के लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनते ही उनके सिर पर लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनने की उपलब्धि जुड़ गई है. हालांकि वे पांचवे नेता हैं, जिनके सिर पर इस उपलब्धि की सेहरा सजा है. इससे पहले 1956 से 1962 तक एमए अय्यंगार, 1969 से 1975 तक जीएस ढिल्लों, 1980 से 1989 तक बलराम जाखड़, 1998 से 2002 तक जीएमसी बालयोगी लोकसभा अध्यक्ष रहे हैं. इन सभी ने लगातार दो लोकसभाओं की अध्यक्षता की है.
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हालांकि नीलम संजीव रेड्डी ऐसे सांसद रहे हैं जो दो बार लोकसभा अध्यक्ष रहे तो लेकिन लगातार नहीं रहे. उन्हें 1967 से 1969 तक और फिर मार्च 1977 से जुलाई 1977 तक लोकसभा अध्यक्ष चुना गया था. इसके अलावा एक तथ्य यह भी है कि कांग्रेस नेता बलराम जाखड़ एकमात्र ऐसे पीठासीन अधिकारी रहे हैं, जिन्होंने सातवीं और आठवीं लोकसभा में दो कार्यकाल पूरे किए हैं तो वहीं उनके बाद अब ओम बिरला के नाम ये उपलब्धि दर्ज हुई है.
मालूम हो कि इस बार ओम बिरला ने कोटा संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के प्रहलाद गुंजल को हराकर वह सदन पहुंचे हैं. इससे पहले वह 2003 से 2014 तक कोटा नॉर्थ की विधानसभा से लगातार विधायक भी चुने गए थे.
बता दें कि ओम बिरला 2003 से लेकर अब तक लगातार हर चुनाव जीतते आए हैं, भले ही उनका संसदीय अनुभव बहुत लम्बा नहीं रहा है. 2003 में कोटा से पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. इसके बाद 2008 में उन्होंने कोटा दक्षिण सीट से कांग्रेस के शांति धारीवाल को हराया था फिर तीसरी बार कोटा दक्षिण से 2013 में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी.
बता दें कि ओम बिरला ने पहली बार 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा था. भाजपा ने उनको कोटा संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाकार चुनावी मैदान में उतारा था. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद 2019 में वह फिर से सांसद चुने गए. इस बार भाजपा ने उनको स्पीकर बनाकर सभी को आश्चर्य में डाल दिया. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि भले ही उनका संसदीय अनुभव बहुत लम्बा नहीं है लेकिन लोकसभा को जिस तरह से उन्होंने चलाया है. उसकी प्रशंसा सभी करते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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