किसानों एवं कृषि कार्मिकों को ज्ञान एवं कौशल सुधार प्रशिक्षण प्रदान करने में कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के महत्व को रेखांकित करते हुए संसद की एक समिति ने देश के उन 128 जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र खोलने की सिफारिश की है जहां एक भी केंद्र नहीं है. भारतीय जनता पार्टी के सांसद पी.सी. गद्दीगौदर की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन एवं खाद्य प्रसंस्करण संबंधी स्थायी समिति की वर्ष 2023-24 की अनुदान की मांगों पर रिपोर्ट में यह बात कही गई है. यह रिपोर्ट सोमवार को लोकसभा में पेश की गई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि प्रसार संभाग, कृषि प्रौद्योगिकियों की स्थान विशिष्टता की पहचान करने और विभिन्न फसलों की उत्पादक क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए परीक्षण कर रहा है. यह प्रभाग किसानों एवं कृषि कार्मिकों को ज्ञान एवं कौशल सुधार करने एवं जागरूकता फैलाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करता है. समिति ने इस बात पर गौर किया कि यह कार्य देश भर में फैले 731 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है. रिपोर्ट के अनुसार समिति कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के इस उत्तर को भी नोट करती है.
वर्तमान में देश में 766 जिले हैं, इनमें से 93 जिलों में दो कृषि विज्ञान केंद्र हैं जबकि 128 जिले में एक भी कृषि विज्ञान केंद्र नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि चूंकि कृषि विज्ञान केंद्र विस्तारित सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए उन 128 जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र खोले जाएं जहां एक भी केंद्र नहीं है.
समिति ने इस बात पर भी ध्यान दिया है कि देश भर में कृषि विज्ञान केंद्र में 3449 रिक्तियां हैं जिसमें वरिष्ठ वैज्ञानिक की 187, विषय वस्तु विशेषज्ञ की 1090, तकनीकी अधिकारी टी4 की 688, सहयाक पद की 279, स्टोनोग्राफर की 280, ड्राइवर की 432 और कुशलता प्राप्त सहायक कर्मचारी की 543 रिक्तियां हैं. इसमें कहा गया है कि समिति सिफारिश करती है कि विभाग प्राथमिकता के आधार पर कृषि विज्ञान केंद्र में इन रिक्तियों को भरे. रिपोर्ट के अनुसार, समिति विभाग से यह भी सिफारिश करती है कि वह मौजूदा तंत्र को सुदृढ़ करे और किसानों के बीच विभिन्न फसलों, मशीनरी, उपकरणों, औजारों, कृषि पद्धतियों, प्रौद्योगिकियों आदि की नई विकसित किस्मों का प्रदर्शन और प्रसार सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन तंत्र विकसित करे.
समिति ने कहा कि किसानों और किसान उत्पादक संगठनों को प्रशिक्षण प्रदान करने पर भी जोर दिया जाए ताकि उन्हें कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार का अधिकतम लाभ मिल सके.
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