Pinaka Rocket: रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना की ताकत बढ़ाने के लिए 6400 पिनाका रॉकेट की खरीद को मंजूरी दे दी है. ये रॉकेट पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम-पिनाका एमबीआरएल के लिए बनाए जाएंगे. इस लॉन्चर सिस्टम को चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया जाएगा. कहा जा रहा है कि इस डील की कीमत 2600 करोड़ रुपये है.
इन रॉकेटों का निर्माण सोलर इंडस्ट्रीज और म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा या उनमें से किसी एक को सौंपा जाएगा. यह रॉकेट प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी है और इसे किसी भी मौसम में संचालित किया जा सकता है. ये रॉकेट बहुत ही कम समय में दागकर दुश्मन के इलाकों को कब्रिस्तान में बदल देते हैं.
पिनाका रॉकेट्स की गति ही इसे सबसे घातक बनाती है. इसकी रफ्तार 5757.70 किलोमीटर प्रति घंटा है यानी यह 1.61 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से हमला करता है. पिछले साल 24 टेस्ट हुए थे. इसके मुख्य रूप से दो वैरिएंट उपलब्ध हैं, जबकि तीसरा वैरिएंट निर्माणाधीन है. पहला है पिनाका एमके-1 (एन्हांस्ड) रॉकेट सिस्टम (पिनाका एमके-1 एन्हांस्ड रॉकेट सिस्टम).
दूसरा पिनाका एरिया डेनियल म्यूनिशन रॉकेट सिस्टम है. इसका नाम भगवान शिव के धनुष पिनाक के नाम पर रखा गया है. पिनाका रॉकेट सिस्टम 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागता है यानी चार सेकंड में एक रॉकेट. 214 कैलिबर के इस लॉन्चर से एक के बाद एक 12 पिनारा रॉकेट लॉन्च किए जा सकते हैं.
इसकी रेंज 7 किलोमीटर से लेकर 90 किलोमीटर तक है. पहले वेरिएंट की रेंज 45 किलोमीटर है, जबकि दूसरे वेरिएंट की रेंज 90 किलोमीटर है. निर्माणाधीन तीसरे वेरिएंट की रेंज 120 किलोमीटर होगी. इस लॉन्चर की लंबाई 16 फीट 3 इंच से 23 फीट 7 इंच है और इसका व्यास 8.4 इंच है.
इस लॉन्चर से छोड़े जाने वाले पिनाका रॉकेट पर उच्च विस्फोटक, क्लस्टर बम, एंटी-कार्मिक, एंटी-टैंक और बारूद हथियार लगाए जा सकते हैं. रॉकेट 100 किलोग्राम तक का हथियार ले जा सकता है और इस प्रणाली को 1986 में लॉन्च किया गया था.
सेना के सूत्रों के मुताबिक, सेना की ऑपरेशनल तैयारियों को बढ़ाने के लिए पिनाका रेजिमेंट को चीन-पाकिस्तान सीमा पर तैनात किया जाएगा. BEML उन वाहनों की आपूर्ति करेगा जिन पर ये रॉकेट लॉन्चर रखे जाएंगे. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, 6 पिनाका रेजिमेंट में 114 लॉन्चर, 45 आर्क पोस्ट के साथ स्वचालित गन टारगेटिंग और पोजिशनिंग सिस्टम होगा. रॉकेट रेजिमेंट का संचालन 2024 तक शुरू करने की योजना है.
कारगिल युद्ध के दौरान इस मिसाइल को टाट्रा ट्रक पर लादकर ऊंची जमीन पर भेजा गया, जहां रॉकेट ने दुश्मन के ठिकानों को उड़ा दिया. सभी पाकिस्तानी दुश्मनों को पहाड़ पर बने अपने बंकरों से भागना पड़ा या मारे गए, क्योंकि ये रॉकेट इतनी तेजी से हमला करते हैं कि दुश्मन को सोचने का मौका ही नहीं मिलता.
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