Caste Census Issue In UP: बिहार सरकार द्वारा जातीय जनगणना के आंकड़े जारी करने के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी सियासत गरमा गई है. तो वहीं सत्तारूढ़ दल भाजपा पर विपक्ष ही नहीं बल्कि अपने ही खेमे में शामिल दलों द्वारा इसको लेकर दबाव बनाया जाना शुरू कर दिया गया है. तो दूसरी ओर भाजपा ने जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी करने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर पलटवार किया है और इस पूरे मामले पर चुप्पी साध ली है.
सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने बिहार सरकार पर सवाल खड़े किए और कहा कि बिहार सरकार ने किस नियम के आधार पर जातीय जनगणना कराई है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस, सपा, आरजेडी परिवारवाद की राजनीति करते हैं. तो वहीं विपक्षी दलों के नेता जातीय जनगणना के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं. उन्होंने परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कहा कि, आरजेडी में लालू के बाद तेजस्वी और तेजप्रताप ही आगे रहेंगे, तो वहीं कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि, कांग्रेस में सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी ही सर्वोपरि रहेंगे तो सपा को लेकर कहा कि, सपा मे भी मुलायम सिंह यादव के बाद अखिलेश यादव ही पार्टी की कमान संभाल रहे हैं.
जातीय जनगणना पर लगातार हमलावर होते हुए भूपेंद्र सिंह चौधरी ने आगे कहा कि, ये दल बताएं कि इनकी सरकारों के कार्यकाल में पिछड़ों और दलितों के उत्थान के लिए क्या किया गया है. संगठन और सरकार में कितनी भागीदारी दी गई. तो वहीं एनडीए सहयोगी अपना दल और निषाद पार्टी की ओर से जातीय जनगणना की मांग को लेकर पूछे गए सवाल पर भूपेंद्र सिंह चौधरी बोले, “वह हमारे सहयोगी दल हैं. उनका राजनीतिक एजेंडा अलग है, भाजपा का अलग है. दूसरी ओर इस मुद्दे पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आलोक अवस्थी ने कहा कि, जातीय जनगणना के मुद्दे पर मुख्यमंत्री विधानसभा में पहले ही कह चुके हैं कि जनगणना कराना केंद्र सरकार का अधिकार है. राज्य सरकार जनगणना नहीं करा सकती है.
बता दें कि केवल विपक्षी दल ही नहीं एनडीए के घटक दल अपना दल (एस) और सुभासपा ने भी जातीय जनगणना कराने की मांग उठाई है. तो दूसरी ओर जातीय जनगणना को लेकर निषाद पार्टी ने कहा है कि, यह भरमाने का प्रयास है. तो वहीं अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल सोमवार को रायबरेली पहुंची थीं और यहां पर कार्यकर्ता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि, उनकी पार्टी हमेशा से जातीय जनगणना कराने की पक्षधर रही है और उन्होंने इस मुद्दे को सड़क से लेकर संसद तक में भी उठाया. इसी के साथ कहा कि यह समय की मांग है.
वहीं सुभासपा के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता अरुण राजभर ने कहा कि, उनकी पार्टी का गठन ही इस मुद्दे की लड़ाई को लेकर हुआ है. उन्होंने कहा कि, पार्टी विधानसभा में इस मुद्दे को कई बार उठा चुकी है. मीडिया से बात करते हुए वह बोले कि, पार्टी हमेशा हर वर्ग के हिस्सेदारी की लड़ाई सत्ता के भीतर और बाहर रहकर भी लड़ती रही है. वह बोले कि सुभासपा रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की भी मांग कर चुकी है.
दूसरी ओर निषाद पार्टी के अध्यक्ष और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने नीतिश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि, जातीय जनगणना के नाम पर जातियों को भरमाना चाहती है नीतिश सरकार. इसी के साथ आरोप लगाया है कि, इनके वोट को बांटकर ओबीसी और एससी, एसटी की संख्या को छोटा करना चाहते हैं. साथ ही कहा कि, हम चाहते हैं संवैधानिक रूप से गिनती होनी चाहिए. यदि जातीय जनगणना कराना है तो वर्ष 1961 की सेंसस के आधार पर जातीय जनगणना होनी चाहिए.
वहीं प्रदेश में जातीय जनगणना को लेकर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि जातीय जनगणना हर हाल में होनी चाहिए ताकि उसी हिसाब से आगे की रणनीति बनाई जा सके. तो वहीं आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने जातीय जनगणना को लेकर कहा कि, आरक्षण और सरकार की लाभकारी नीतियों का लाभ वांछित लोगों तक तभी पहुंचेगा, जब जातिगत जनगणना होगी.
-भारत एक्सप्रेस
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