BJP on Notebandi: बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आज एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला आया है. 2016 में मोदी सरकार के ऐतिहासिक फैसले, जिसमें 500 और 1,000 के नोटों को जो डिमोनेटाइज किया था, उसकी वैधानिकता को चुनौती देने वाली सारी याचिकाओं को कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि ये पूरी नीति टेरर फंडिंग, फेक करेंसी और मनी लॉन्ड्रिंग आदि को रोकने के लिए की गई थी. टेररिज्म की रीढ़ को तोड़ने में डिमोनेटाइज ने महत्वपूर्ण काम किया. यह फैसला देशहित में किया गया था और आज कोर्ट ने इस निर्णय को सही पाया है. जबकि कांग्रेस ने इसे लेकर काफी हंगामा किया था. कांग्रेस को अब मांफी मांगना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में केंद्र सरकार के 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि रिकॉर्ड से ऐसा प्रतीत होता है कि आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच नोटबंदी को लेकर छह महीने तक विचार-विमर्श हुआ था.
बता दें, केंद्र सरकार ने 2016 को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद कर दिया था. नोटबंदी के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की गई. इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस.ए. नजीर और जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना, वी. रामासुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया, लेकिन न्यायमूर्ति नागरत्ना ने इस फैसले पर असहमति जताई. न्यायमूर्ति गवई ने बहुमत का फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी भी फैसले को इसलिए गलत नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वो सरकार ने लिया था. रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि नोटबंदी को लेकर आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच 6 महीने तक विचार-विमर्श हुआ.
गौरतलब है कि नोटबंदी के दौरान उर्जित आर. पटेल आरबीआई के गवर्नर थे और उनसे पहले रघुराम राजन थे, जिनका कार्यकाल 4 सितंबर 2013 से 4 सितंबर 2016 तक था.
-भारत एक्सप्रेस
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