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RG Kar Case: ‘चिकित्सकों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए अलग कानून की सिफारिश’, नेशनल टास्क फोर्स ने SC को सौंपी रिपोर्ट

कोलकाता आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित नेशनल टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है. राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने कहा कि चिकित्सकों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए अलग से केंद्रीय कानून होना चाहिए. राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने कहा कि विभिन्न राज्यों ने मेडिकल प्रतिष्ठानों में हिंसा से निपटने के लिए विशेष रूप से कानून बनाए हैं. एनटीएफ की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 24 राज्यों ने मेडिकल पेशेवरों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए विशेष कानून पारित किए हैं.

एनटीएफ ने की ये सिफारिशें

एनटीएफ ने अस्पतालों में सुरक्षा में सुधार के लिए सिफारिश भी की है. जैसे प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों की तैनाती, रात की शिफ्ट में सुरक्षा प्रोटोकॉल और मेडिकल कर्मचारियों के लिए परिवहन, सीसीटीवी बढ़ाना, सुरक्षा जांच आदि. इसके साथ ही इस रिपोर्ट में सुझाव दिया कि रात के समय आपातकालीन इकाइयों में वरिष्ठ निवासी मौजूद हो सकते है. अस्पतालों में मेडिकल पेशेवरों के खिलाफ हिंसा के किसी भी कृत्य की रिपोर्टिंग के छह घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए.

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने क्या कहा था?

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स की रिपोर्ट को विभिन्न राज्यों के मेडिकल प्रतिष्ठानों में हिंसा से निपटने के लिए राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कोलकाता की अदालत ने मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं. महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या में संजय रॉय के अलावा और भी कोई शामिल था या नहीं, इस पर अभी तक जांच की जा रही है.

यह भी पढ़ें- ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर केस: SC ने कहा- CBI और राज्य सरकार 3 सप्ताह में दाखिल करें फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि सीबीआई को मामले में कुछ अन्य आरोपियों के बीच बातचीत का रिकॉर्ड मिला है, जिसकी जांच की जा रही है. तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया था कि आरजी कर अस्पताल में घोटाले की जांच अलग से की जा रही है. एएसजी ने कोर्ट को बताया था कि 37 संगठनों के 1700 सुझाव राष्ट्रीय टास्क फोर्स के पास पहुंच गए हैं. बडी संख्या में सुझाव आने के कारण टास्क फोर्स को कुछ समय लग रहा है. ऐसा आरोप है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने अब तक कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया है.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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