बेअंत सिंह हत्याकांड मामले में दोषी बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 5 दिसंबर को सुनवाई करेंगा. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के सचिव को राजोआना की दया याचिका पर 2 सप्ताह में विचार करने का निर्देश दिया है. जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर दो सप्ताह में याचिका पर विचार नहीं किया जाता है तो हम राजोआना को अंतरिम राहत देने पर विचार करेंगे.
राजोआना का कहना है कि वो 29 साल से जेल में है. पिछली सुनवाई में राजोआना की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि राजोआना की दया याचिका राष्ट्रपति के पास 12 साल से लंबित है. केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि वह इस मामले में अपना जवाब दाखिल करेंगे.
राजोआना ने अपनी दया याचिका पर फैसला लेने में अत्यधिक देरी का हवाला देते हुए मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने का अनुरोध किया है. पिछले साल 3 मई को पंजाब पुलिस के पूर्व कॉन्स्टेबल राजोआना को राहत देने से इनकार करते हुए मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद राजोआना ने दोबारा नए सिरे से याचिका दायर कर कहा है कि उसने 38 साल 8 महीने की सजा काट ली है, जिसमें से 17 साल मौत की सजा पाए दोषी के रूप में काटे हैं.
राजोआना ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक साल से अधिक समय पहले सक्षम प्राधिकारी को उसकी दया याचिका पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था. याचिका में कहा गया है मौत की सजा पाने वाला याचिकाकर्ता अपनी दया याचिका पर फैसले का लंबे समय से इंतजार कर रहा है. जीवन को लेकर अनुचित रूप से लंबे समय से बनी हुई अनिश्चितता के कारण उसे अकल्पनीय मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है, जो अनुच्छेद 21 के तहत हासिल जीवन के अधिकार का उल्लंघन है.
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बता दें कि 31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ के सिविल सचिवालय के गेट पर एक विस्फोट में बेअंत सिंह और 16 अन्य व्यक्ति मारे गए थे. एक विशेष अदालत ने जुलाई 2007 में बेअंत सिंह हत्याकांड में राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी. बलवंत सिंह राजोआना का जन्म अगस्त 1967 को पंजाब, लुधियाना के राजोआना काला गांव में हुआ था. लुधियाना के जीएचजी खालसा कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी की और 1 अक्टूबर 1987 में पंजाब पुलिस में शामिल हो गया. बलवंत सिंह के पिता मलकीत सिंह को आतंकवादियों ने मार दिया था. इसी दौरान एक केस में संदिग्ध बलवंत सिंह के दोस्त हरपिंदर सिंह उर्फ गोल्डी को पंजाब पुलिस ने गोली मार दी थी. इसके बाद 1993 में बलवंत सिंह राजोआना को गोल्डी के माता-पिता, जसवंत सिंह और सुरजीत कौर ने कानूनी तौर पर गोद ले लिया था.
-भारत एक्सप्रेस
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