भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के समय और उसके बाद अडाणी एंटरप्राइजेज की स्क्रिप में ट्रेडिंग के नियमों का उल्लंघन करने को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च, नाथन एंडरसन और मॉरीशस के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) मार्क किंगडन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. 46 पेज के कारण बताओ नोटिस में बाजार नियामक की ओर से कहा गया है कि हिंडनबर्ग और एंडरसन ने सेबी एक्ट, सेबी की धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार आचरण रोकथाम के नियम, और रिसर्च एनालिस्ट के लिए बनाई गई आचार संहिता का उल्लंघन किया है.
इस नोटिस में एफपीआई किंगडन पर आरोप है कि उसने सेबी एक्ट, सेबी के धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार आचरण रोकथाम के नियम, और एफपीआई के लिए बनाए गए सेबी की आचार संहिता का उल्लंघन किया है. नियामक की ओर से गया कि हिंडनबर्ग और एफपीआई ने भ्रामक डिस्कलेमर दिया कि यह रिपोर्ट भारत से बाहर ट्रेड की जाने वाली सिक्योरिटीज के लिए है, लेकिन यह पूरी तरह भारत में सूचीबद्ध कंपनियों को लेकर थी. नोटिस में कहा गया कि किंगडन ने साझेदारी के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से हिंडनबर्ग की भारतीय डेरिवेटिव मार्केट में अदाणी एंटरप्राइजेज के फ्यूचर्स में ट्रेड करने में मदद की और फिर मुनाफे को रिसर्च फर्म के साथ शेयर कर लिया गया. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जनवरी 2023 में जारी की गई थी.
पूरे मामले पर अडाणी ग्रुप की ओर से भी बयान सामने आया है. जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी ग्रुप को क्लीन चिट दी और सेबी को शॉर्ट सेलिंग में शामिल संस्थाओं की जांच करने का निर्देश दिया. इसी सिलसिले में सेबी ने हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. जिससे उनकी साजिश का खुलासा हो गया है. सेबी की जांच में खुलासा हुआ है कि कोटक महिंद्रा और हिंडनबर्ग ने मिलकर अडाणी के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन लेने की साजिश रची थी. हिंडनबर्ग शॉर्टिंग से 25% लाभ में कटौती करने पर सहमत हुआ. जिसके चलते लाखों डॉलर का फायदा हुआ.
सेबी के कारण बताओ नोटिस के मुताबिक कोटक महिंद्रा बैंक के अधिकारियों की चैट से पता चलता है कि कैसे कोटक ने पैसा लगाने और अडाणी फ्यूचर्स में शॉर्ट पोजीशन लेने के लिए ऑफशोर फंड स्थापित किए. जिससे 22.11 मिलियन डॉलर का मुनाफा हुआ. सेबी के कारण बताओ नोटिस से ये भी पता चलता है कि कैसे हिंडनबर्ग की रिपोर्ट अनुमानों, झूठ और गलत बयानी से भरी थी. जिसका एकमात्र उद्देश्य उनकी छोटी स्थिति से अधिकतम लाभ कमाना था. ग्रुप का कहना है कि सेबी की जांच, जो अमेरिकी अदालतों और SEC रिकॉर्ड से मिले दस्तावेजों और सबूतों पर आधारित है. लेकिन हिंडनबर्ग ने सेबी पर हमला करना शुरू कर दिया है और जांच को पक्षपातपूर्ण बताया है.
पूरे मामले में न्यूज आर्टिकल और प्रेस नोट्स होने के बावजूद हिंडनबर्ग व्यापक जांच का दावा करता है. साथ ही वो बताना चाहते हैं कि बिना सबूत के अपनी वेबसाइट पर सेल्फ-रिपोर्ट किए गए नंबरों का उपयोग करके उन्हें अडाणी शॉर्ट्स से कोई फायदा नहीं हुआ. हिंडेनबर्ग ने जानबूझकर भ्रामक बयानों के आधार पर अपनी रिपोर्ट में कुछ निष्कर्ष पेश किए. जिससे सीधे तथ्यों की तुलना में अधिक नकारात्मक प्रभाव वाली एक सनसनीखेज रिपोर्ट तैयार हुई. ये लापरवाह दृष्टिकोण एक फोरेंसिक वित्तीय अनुसंधान इकाई से उम्मीद नहीं की जा सकती है.
अडाणी को शॉर्ट करने से हुए छोटे मुनाफे के दावों के अलावा सेबी की जांच से ये भी पता चला है कि हिंडनबर्ग ने MSCI इंडिया इंडेक्स पर ETF और ऑप्शंस में शॉर्ट पोजिशन लेकर. अडाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड, AGEL और APSEZ के बॉन्ड में ट्रेडिंग कर 9.2 मिलियन डॉलर कमाए. अपनी जांच में सेबी ने पाया कि हिंडनबर्ग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के निष्कर्षों को गलत तरीके से पेश किया. बिना सबूत के सरकारी भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोप लगाए. गुमनाम स्रोतों और प्रतिभूति बाजार से बैन ब्रोकर के अविश्वसनीय बयान पर भरोसा करते हुए सेबी पर लापरवाह तरीके से आक्षेप लगाए.
-भारत एक्सप्रेस
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