Shiv Sena: चुनाव आयोग में एकनाथ शिंदे गुट की बड़ी जीत हुई है. चुनाव आयोग ने कहा कि पार्टी के नाम ‘शिवसेना’ और पार्टी के प्रतीक ‘धनुष और तीर’ पर एकनाथ शिंदे गुट का ही अधिकार होगा. चुनाव आयोग के इस फैसले से उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है. शिवसेना में दो फाड़ होने के बाद पार्टी के सिंबल और नाम पर दोनों गुटों ने दावा ठोका था, जिस पर चुनाव आयोग ने फैसला सुना दिया है.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, चुनाव आयोग ने देखा कि शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है. बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए इसे विकृत कर दिया गया है. इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास को प्रेरित करने में विफल रहती है. वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस फैसले के बाद कहा, “यह देश बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान पर चलता है. हमने उस संविधान के आधार पर अपनी सरकार बनाई. चुनाव आयोग का आज जो आदेश आया है वह मेरिट के आधार पर है. मैं चुनाव आयोग का आभार व्यक्त करता हूं.”
दूसरी तरफ, उद्धव ठाकरे ने कहा कि वे चुनाव आयोग के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. उन्होंने कहा, “हमें यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट इस आदेश को रद्द कर देगा और 16 विधायकों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा.” बता दें कि एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी थी और कई विधायक उनके साथ आ गए थे. बाद में उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था. वहीं एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी और देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ली थी. उसके बाद से दोनों गुटों के बीच पार्टी के असल नाम और सिंबल को लेकर खींचतान चल रही थी.
वहीं चुनाव आयोग के फैसले पर उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कहा कि इस सरकार ने करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए हैं, वो पानी कहां तक पहुंचा है ये दिख रहा है. हमें फिक्र करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि जनता हमारे साथ है. राउत ने कहा कि हम नया चिह्न लेकर जाएंगे और फिर एक बार यही शिवसेना खड़ी करके दिखाएंगे. उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र बचा ही नहीं है. सब गुलाम बनकर बैठे हैं, ये लोकतंत्र की हत्या है.
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उद्धव ठाकरे गुट के नेता आनंद दुबे ने कहा कि वही आदेश आया है, जिसका हमें अंदेशा था. दुबे ने कहा कि हम कहते रहे हैं कि हमें चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है. उन्होंने कहा कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है तो चुनाव आयोग द्वारा यह जल्दबाजी दिखाती है कि यह केंद्र के तहत भाजपा एजेंट के रूप में काम करता है.
-भारत एक्सप्रेस
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