सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बहुत बड़ा फैसला दिया.देश सबसे बड़ी अदालत ने बलात्कार के मामलों में”टू-फिंगर टेस्ट” को गैरजरूरी बताते हुए इस पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने वालों को दोषी माना जाएगा और उनके खिलाफ सख्त एक्शन होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि ‘टू फिंगर टेस्ट’आज भी किया जा रहा है.
सुप्रीम अदालत के मुताबिक, महिलाओं की वर्जिनिटी का पता लगाने के लिए इस टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, और ऐसा करने से महिलाओं की भावनाएं आहत होती हैं.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जो “टू-फिंगर टेस्ट” करता है, उसे कदाचार का दोषी माना जाएगा. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने बलात्कार के एक मामले में ये सख्त टिप्पणी की.
कोर्ट की पीठ ने झारखंड हाईकोर्ट में चल रहे बलात्कार और हत्या के दोषी को बरी करने के फैसले को पलट दिया और अदालत के उसे दोषी ठहराने के फैसले को बरकरार रखा. इसने केंद्र और राज्यों को सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में पाठ्यक्रम की समीक्षा करने और “टू-फिंगर टेस्ट” पर अध्ययन सामग्री को हटाने का भी निर्देश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रालयों को आदेश दिए.कोर्ट ने साफ कहा कि यौन उत्पीड़न के मामलों में जांच की उचित प्रक्रिया अपनाई जाए. साथ ही इस मुद्दे पर कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएं.
-भारत एक्सप्रेस
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