सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने शनिवार (16 नवंबर) को शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. पार्टी के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने यह जानकारी दी. यह कदम अकाल तख्त साहिब (Akal Takht Sahib) द्वारा 30 अगस्त को 62 वर्षीय सुखबीर बादल को ‘तन्खैया’ (Tankhaiya) या सिख धार्मिक आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी घोषित किए जाने के दो महीने से अधिक समय बाद उठाया गया है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उन्होंने कहा, ‘शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने नए अध्यक्ष के चुनाव का मार्ग प्रशस्त करने के लिए आज पार्टी की कार्यसमिति को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने अपने नेतृत्व में विश्वास व्यक्त करने तथा पूरे कार्यकाल के दौरान पूरे दिल से समर्थन और सहयोग देने के लिए सभी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया.’
चीमा ने कहा कि अकाली दल कार्यसमिति के अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ ने 18 नवंबर को चंडीगढ़ में पार्टी कार्यसमिति की आपात बैठक बुलाई है. यह समिति सुखबीर बादल के इस्तीफे पर विचार करेगी और आगे की रणनीति तय की जाएगी. पार्टी अध्यक्ष, पदाधिकारियों और कार्यसमिति सदस्यों के लिए चुनाव 14 दिसंबर को हाेना है.
पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) प्रमुख सुखबीर सिख बादल को ‘सिखों के हितों को नुकसान पहुंचाने’ के आरोप में 24 घंटे के भीतर ‘पापी’ करार दिए जाने के बाद 31 अगस्त को उन्होंने अकाल तख्त (सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था) के समक्ष उपस्थित होकर पांच सिंह साहिबानों की एक बैठक बुलाने का अनुरोध किया था. उन्होंने इस बैठक में अपनी गलतियों को सुधारने का अवसर देने की अपील की थी.
चार पूर्व कैबिनेट मंत्रियों के साथ सुखबीर बादल आम आदमी की तरह अकाल तख्त के सामने पेश हुए थे और लिखित स्पष्टीकरण भी दिया था. पांच सिंह साहिबानों की बैठक के बाद अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर बादल को तन्खैया (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया और उन्हें एक आम सिख की तरह 15 दिनों के भीतर अकाल तख्त साहिब के सामने पेश होने को कहा था.
अकाल तख्त ने एसएडी-भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान मंत्रियों से 2007-12 और 2012-2017 के लगातार दो कार्यकालों के दौरान की गईं गलतियों में उनकी भूमिका के लिए स्पष्टीकरण मांगा. अकाल तख्त द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद एसएडी ने घोषणा की कि वह पूरी विनम्रता के साथ निर्देशों को स्वीकार करता है.
इसके अलावा पार्टी के भीतर असंतोष का सामना कर रहे सुखबीर सिंह बादल ने अपने पुराने पारिवारिक वफादार और पूर्व राज्यसभा सदस्य भुंडर को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था.
शिरोमणि अकाली दल के बागी और कई सिख संगठन 2007-17 के दौरान अकाली दल के 10 साल के कार्यकाल के दौरान हुई बेअदबी की घटनाओं के मद्देनजर सुखबीर सिंह बादल से अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं.
इन घटनाओं में स्वयंभू संत और डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह द्वारा सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, 2007 में कथित तौर पर संप्रदाय के डेरे में गुरु गोविंद सिंह की नकल करना और 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी शामिल हैं.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने जनवरी 2008 में सुखबीर सिंह बादल को पार्टी का अध्यक्ष बनाया था. अक्टूबर 2015 में बेअदबी और गुरु ग्रंथ साहिब की चोरी की घटनाओं के बाद पार्टी के भीतर से सुखबीर सिंह के खिलाफ आवाज उठने लगी थी. 2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी में बागी सुखबीर के खिलाफ मुखर हो गए थे.
इस साल जुलाई में अकाली दल से अलग होकर गुरप्रताप सिंह वडाला के नेतृत्व में अकाली दल सुधार लहर नाम से एक गुट का गठन किया गया था. इसमें शामिल अकाली दल के वरिष्ठ नेता लंबे समय से सुखबीर के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.
बीते 30 अगस्त को ही अकाल तख्त ने 2007 से 2017 तक उपमुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख के तौर पर सुखबीर द्वारा की गईं ‘गलतियों’ और उनके द्वारा लिए गए उन फैसलों के लिए ‘तन्खैया’ घोषित किया था, जिनसे ‘पंथ की छवि को गहरा नुकसान पहुंचा और सिख हितों को नुकसान पहुंचा.’ तब से सुखबीर राजनीतिक रूप से निष्क्रिय हैं.
(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)
-भारत एक्सप्रेस
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