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सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस श्रीशानंद के खिलाफ बंद की कार्यवाही, जज ने अदालत में माफी मांगी; सीजेआई ने जजों से संयम बरतने का आग्रह किया

कर्नाटक हाईकोर्ट के जज द्वारा बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुत इलाके को पाकिस्तान कहने और महिलाओं को लेकर की गई टिप्पणी पर जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद के खिलाफ कार्यवाही को सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने बंद कर दिया है. संविधान पीठ ने कहा कि जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद ने खुद वकीलों को बुला कर खुली अदालत में माफी मांग ली है. ऐसे में अब मामले को जारी रखने की जरूरत नहीं है.

संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने देश के सभी जजों से कहा कि वह लाइव स्ट्रीमिंग और सोशल मीडिया के इस दौर में अपनी टिप्पणियों में संयम बरतने की जरूरत है. सीजेआई ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि किसी को इस बात का हक नहीं है कि वो देश के किसी हिस्से को पाकिस्तान कहे. इस तरह का बयान देश की अखंडता के खिलाफ है. कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि इस तरह के विवाद के चलते लाइव स्ट्रीमिंग को बंद नही किया जा सकता. न्यायिक प्रक्रिया में और ज्यादा पारदर्शिता की जरूरत है न कि अदालत में हो रही सुनवाई को पर्दे में रखा जाए.

सुप्रीम कोर्ट में दायर माफीनामे में जस्टिस श्रीशानंद ने कहा है कि उनके बयान को गलत संदर्भ में पेश किया गया. उनका इरादा किसी की भावनाओं को आहत करने का नहीं था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें ये देखना होगा कि जस्टिस श्रीशानंद ने खुली अदालती कार्यवाही में माफी मांगी है न्यायपलिका के हित में यह जरूरी है, कि हम उनके माफी को स्वीकार करें. और इस मामले में आगे कोई कर्रवाई ने करें. कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस श्रीशानंद की विवादित टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर हाईकोर्ट से रिपोर्ट मांगी थी.

दरअसल हाईकोर्ट के जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद के दो वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. जिसमें वे आपत्तिजनक टिप्पणी करते नजर आए थे. एक वीडियो में वे बेंगलुरु के एक इलाके को पाकिस्तान कह रहे है, जबकि दूसरे वीडियो में वे एक महिला वकील पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते नजर आए है. वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से स्वतः संज्ञान लेने की मांग की थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने स्वतः संज्ञान लिया था. सीजेआई ने कहा था कि हम कर्नाटक हाईकोर्ट के जज से अनुरोध करते हैं कि कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से निर्देश लेने के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत करें. साथ ही कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से सहायता करने को कहा था.

ये भी पढ़ें- दिल्ली हाईकोर्ट का सख्त रुख: डीयू चुनाव में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे विश्वविद्यालय

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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