उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर कब्जे के मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को दो महीने में मामले पर ठोस प्रस्ताव कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है. साथ ही कोर्ट ने प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए भी कदम उठाने को कहा है. कोर्ट 2 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. वहीं मामले की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र के साथ संयुक्त बैठक की गई और सर्वेक्षण किया गया है. जिसमें साढ़े चार हजार परिवारों की पहचान की गई है, और पुनर्वास नीति पर विचार किया जा रहा है.
सरकार ने कहा कि पीड़ितों की पुनर्वास के लिए अभी तक 40 हेक्टेयर भूमि की पहचान कर ली गई है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि जो लोग वहां रह रहे है, वो भी इंसान है. वे दशकों से रह रहे है. अदालतें निर्दयी नहीं हो सकती. कोर्ट ने कहा था कि अदालतों को संतुलन बनाए रखने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच मामले में सुनवाई कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव, केंद्र सरकार के अधिकारी और रेलवे के अधिकारी मीटिंग कर, ये योजना बनाए कि आखिर लोगों का पुनर्वास किस तरह से होगा. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि रेलवे ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. अगर आप लोगों को बेदखल करना चाहते हैं तो नोटिस जारी करें. जनहित याचिका के साथ क्यों? इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. वहीं रेलवे की तरफ से कहा गया था कि वो वंदे भारत ट्रेन वहां चलाना चाहता है. इसको लेकर प्लेटफार्म को बढ़ाने की जरूरत है.
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा 2023 में पारित अंतरिम आदेश में संशोधन के लिए दायर किया गया था, क्योंकि विवाद में भूमि के एक हिस्से में रेलवे ट्रैक और हल्द्वानी रेलवे स्टेशन की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पूरे मामले में पुनर्वास के लिए विकल्प तलाशने की जरूरत है. फॉरेस्ट एरिया को छोड़कर किसी दूसरे लैंड को लेकर विकल्प को तलाशने की जरूरत है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था इस मामले में जल्द करवाई की जरूरत है. 4365 घर है, वहां पर 50 हजार लोग रह रहे है.
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-भारत एक्सप्रेस
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