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आर्टिकल 142 की शक्तियों का इस्तेमाल कर SC ने जारी किया आदेश- धनबाद IIT फीस डेडलाइन मिस करने वाले छात्र अतुल को दे दाखिला

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के रहने वाले दलित छात्र अतुल कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने धनबाद आईआईटी को आदेश दिए हैं कि उसका दाखिला इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स की सीट पर किया जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा है कि संस्थान एक सीट का इजाफा अलग से करे, जिससे दूसरे छात्र को सीट न छोड़नी पड़े. मुजफ्फरनगर के खतौली के रहने वाले छात्र अतुल ने आईआईटी धनबाद में एडमिशन के लिए क्वालिफाई किया था, लेकिन 17 हजार 500 रुपए फीस जमा करने में देरी की वजह से दाखिला नहीं हो पाया था.

अनुच्छेद 142 का कोर्ट ने किया इस्तेमाल

फीस भरने में देरी होने पर अतुल को आईआईटी में दाखिला नहीं मिल पाया था. जिसके बाद अतुल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचुड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए यह आदेश दिया है.

छात्र को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता-SC

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स की सीट पर एडमिशन देना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि छात्र के लिए एक अलग सीट बढ़ाई जाए ताकि दूसरे छात्र के एडमिशन में कोई कठिनाई न आए. कोर्ट ने कहा कि अतुल कुमार जैसे प्रतिभाशाली छात्र जो हाशिए पर स्थित समूह से है. उसे दाखिले के लिए नहीं रोका जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फीस जमा करने की समय सीमा समाप्त होने पर छात्र को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता है.

यह भी पढ़ें- “देवताओं को राजनीति से दूर रखा जाए, ये श्रद्धालुओं की आस्था का सवाल”, तिरुपति प्रसादम मामले में सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी

चंदा मांगकर जुटाई फीस

बता दें कि यूपी के मुजफ्फरनगर के रहने वाले अतुल ने इस साल आईआईटी जेईई की परीक्षा पास की. उसे झारखंड के आईआईटी धनबाद में सीट आवंटित हो गई, लेकिन उसे दाखिले के लिए जरूरी रकम जुटाने में समय लग गया. अतुल के पिता दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं. ऐसे में उसने गांव वालों से चंदा लेकर 17,500 रुपये की रकम जुटाई. वह ऐसा उसी दिन कर पाया, जब फीस जमा करने की आखिरी समय आ पहुचा था. अतुल ने अपनी याचिका में कहा था कि 24 जून को शाम 5 बजे से कुछ पहले फीस जमा करने के लिए बनाया गया पोर्टल हैंग हो गया. इस कारण वह फीस जमा नही कर पाया. बाद में फीस जमा करने में असफल रहने को आधार बनाकर उसे आईआईटी धनबाद में दाखिला नही मिला. जिसके बाद अतुल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

क्या है आर्टिकल 142

आर्टिकल 142 सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि अदालत किसी भी मामले में पूर्ण न्याय के लिए आदेश पारित कर सकती है. अनुच्छेद का यह प्रावधान सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरे देश में लागू करने का भी अधिकार देता है. हालांकि इस अधिकार का इस्तेमाल करते हुए दिया गया आदेश बाकी मामलों के लिए एक नजीर नहीं बन सकता है.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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