मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 4 फरवरी को सुनवाई करेगा. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त फरवरी में रिटायर्ड हो रहे है. अगर नए कानून पर जल्द रोक नही लगी तो नए कानून के तहत सरकार फिर मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कर देगी. लेकिन कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. यह अर्जी मध्य प्रदेश कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने दायर की है. अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग को लेकर जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन कर जल्द सुनवाई की मांग की गई.
अर्जी में कहा गया है कि सीईसी राजीव कुमार फरवरी 2025 में सेवानिवृत्त हो रहे है. इसलिए नए कानून पर तत्काल रोक लगाई जाए. जया ठाकुर का कहना है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियां नए कानून के तहत तब भी की जा रही है, जब याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. याचिका में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली समिति से हटाना अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ और अन्य के मामले का उल्लंघन है.
अनूप बरनवाल मामले में फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा था कि पैनल में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होने चाहिए. वही, नए कानून में सीजेआई की जगह कैबिनेट मंत्री को बतौर सदस्य रखा गया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है. 2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि CEC और EC की नियुक्ति तीन सदस्यीय पैनल की तरफ से की जाएगी.
यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग याचिका पर जल्द सुनवाई से किया इनकार, जानें क्यों किया ऐसा? पढ़ें पूरा मामला
इसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे. केंद्र सरकार ने 2023 में जो कानून बनाया है उसमें सिलेक्शन कमिटी में चीफ जस्टिस को हराकर उनकी जगह पीएम की ओर से नामित केंद्रीय मंत्री को रखा गया है. इस तरह से सिलेक्शन प्रक्रिया खतरे में होगी और हेरफेर का आदेश है क्योंकि सिलेक्शन प्रक्रिया एग्जेक्युटिव के कंट्रोल में होगा. इससे पहले याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा था कि जब कोई फैसला सुनाया जाता है तो कोई उल्लंघन नही हो सकता है. उन्होंने तर्क दिया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम 2023 में स्पष्ट उल्लंघन हुआ है. बता दें कि रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संघु को निर्वाचन आयुक्त किया गया था. इनकी नियुक्ति रद्द करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता ने सीजेआई को चयन समिति में रखने की मांग गई थी.
दिल्ली में गुरुवार को तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई. शीतलहर के चलते दिल्ली…
एक्स पर एक वीडियो शेयर करने के साथ जेलेंस्की ने कहा, "रूसियों ने जापोरिज्जिया पर…
ओडिशा में पहली बार ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है. यह…
1962 का भारत-चीन युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अपार साहस और वीरता का परिचय दिया…
प्रीतीश नंदी का जन्म बिहार के भागलपुर में एक बंगाली परिवार में हुआ था. वह…
जस्टिस सचिन दत्ता ने राइट टू बी फॉरगॉटन का हवाला देते हुए साथ ही न्यायालय…