उत्तराखंड के जंगलों की आग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई में उत्तराखंड सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि कृत्रिम वर्षा उपाय नहीं है। आपको कदम उठाने होंगे। कोर्ट 15 मई को इस मामले में अगला सुनवाई करेगा। साथ ही कोर्ट ने सीईसी से दोनों पक्षों को दस्तावेज देने का निर्देश दिया है।
राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप
याचिकाकर्ता व वरिष्ठ वकील राजीव दत्ता ने राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि उत्तराखंड में जंगलों की आग इस कदर फैली है कि उसे पूरी दुनिया देख रही है। याचिकाकर्ता ने कहा कि पांच लोगों की इसके चलते मौत हो चुकी है। 398 आग की घटनाएं हो चुके हैं और 62 नामजद एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। याचिकाकर्ता के मुताबिक जंगलों की आग के लिए एक राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि आखिर उत्तराखंड के जंगलों में आग क्यों लगती है। क्योंकि सरकार ने बड़े पैमाने पर ठेका दिया है और पेंट में प्रयोग किए जाने वाले पेड़ों की वजह से आग की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है।
आग जलाकर जंगलों के पेड़ हटाए जाते हैं…
याचिकाकर्ता ने कहा कि विभिन्न परिस्थितियों के मद्देनजर सरकार को इसके लिए उचित कदम उठाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा कि पहले आग जलाकर जंगलों के पेड़ हटाए जाते हैं और फिर भूमि का लैंडयूज बदल दिया जाता है। यह भी बिना सरकारी मशीनरी के नहीं हो सकता। बतादें कि उत्तराखंड के कई जंगलों में आग लगी हुई है, जिसको बुझाने के लिए भारतीय वायुसेना लगातार उत्तराखंड वन विभाग के साथ ऑपरेशन चला रही है। प्रदेश में जंगल मे आग लगाने की कोशिश करते आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वही नैनीताल जिला प्रशासन के अनुरोध पर एनडीआरएफ की एक टीम हल्द्वानी भेजी गई है। जिससे जरूरत पड़ने पर तत्काल उसकी मदद ली जा सके।
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आग बुझाने का प्रयास युद्ध स्तर पर
उधर वन अधिकारियों ने बताया कि हल्द्वानी, नैनीताल और चंपावत बन प्रभागों समेत प्रदेश के विभिन्न वन क्षेत्रों में भड़की आग बुझाने का प्रयास युद्ध स्तर पर चल रहा है। पिछले 24 घंटो में प्रदेश भर में जंगल मे आग की आठ नई घटनाएं सामने आयी जिनमें से चार कुमायूं क्षेत्र में, दो गढ़वाल क्षेत्र में और दो अन्य वन्य क्षेत्रों में है। इन घटनाओं में 11.75 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। पिछले साल 1 नवंबर से राज्य में जंगल मे आग लगने की कुल 575 घटनाएं सामने आई हैं, जिससे 689.89 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ और राज्य को 14 लाख रुपये के अधिक का नुकसान हुआ है। जंगल की आग के कारण ब्लादियाखान, ज्योलीकोट, मंगोली, खुर्पाताल, देवीधुरा, भवाली, पिनस, भीमताल और मुक्तेश्वर सहित नैनीताल के आसपास के कई गांव प्रभावित हुए हैं।
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