आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की वह याचिका खारिज हो गई, जिसमें उन्होंने वर्ष 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के पीछे बड़ी साजिश से जुड़े मामले के कुछ दस्तावेज मांगे थे. हुसैन और कई अन्य पर गैरकानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप लगाए गए हैं. कड़कड़डुमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर वाजपेयी ने रेखांकित किया कि हुसैन ने अपने आवेदन में चश्मदीद गवाह राहुल कसाना का बयान मुहैया कराने का अनुरोध किया है.
कसाना ने यह बयान ताहिर हुसैन के खिलाफ दंगे के एक अन्य मामले और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिया था. न्यायाधीश ने विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद की उस दलील पर भी संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया था कि हुसैन का आवेदन अपने बचाव के लिए दस्तावेज जुटाए जाने की कोशिश है. यह भी तब जब उस स्तर पर आरोप भी तय नहीं किए गए हैं.
अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार, सुनवाई शुरुआती चरण में है. अभी इस मामले में आरोप भी तय नहीं किए गए हैं, इसलिए आवेदक की ओर से मांगा गया बयान उपलब्ध कराने पर विचार नहीं किया जा सकता है. अदालत ने रेखांकित किया कि हुसैन की अर्जी में यह नहीं बताया गया है कि उक्त बयान कैसे उसके मामले में मददगार होगा. न्यायाधीश ने कहा कि सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद यह अदालत पाती है कि इस स्तर पर आवेदन में कोई पुख्ता तथ्य नहीं है. इस दशा में आवेदन खारिज की जाती है.
-भारत एक्सप्रेस
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