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JNU में पेड़ों को काटना पड़ा महंगा, हाईकोर्ट ने वन विभाग के DCF को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू में दो पेड़ों की कटाई पर उप वन संरक्षक (डीसीएफ) को अवमानना का नोटिस जारी कर मांगा जवाब है। उस पर अदालत को दिए गए वचन का उल्लंघन करते हुए पुराने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू ) परिसर में 2 पेड़ों को काटने और 132 पेड़ों को प्रत्यारोपित करने की अनुमति प्रदान करने का आरोप है। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि यद्यपि मामले की सुनवाई कटाई के चार दिन बाद की गई थी, लेकिन न्यायालय को दिल्ली वन विभाग द्वारा दी गई अनुमति के बारे में अवगत नहीं कराया गया था। यह आदेश न्यायालय के 2022 के निर्देशों का पालन न करने से संबंधित एक मामले में पारित किया गया है जिसमें वृक्ष अधिकारियों को एक भी पेड़ काटने के कारणों को स्पष्ट करने की आवश्यकता थी।

22 बार पेड़ों को काटने की दी गई अनुमति

यह आरोप लगाया गया था कि इन निर्देशों के बावजूद मई और अगस्त 2022 के बीच 22 बार पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी। इसके बाद 31 अगस्त, 2023 को दिल्ली सरकार द्वारा न्यायालय को बताया गया कि अगली सुनवाई की तारीख तक किसी भी व्यक्ति को पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं दी जाएगी और महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए आवश्यक किसी भी अनुमति के बारे में न्यायालय को सूचित किया जाएगा। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पुराने जेएनयू परिसर में सचिवालय प्रशिक्षण एवं प्रबंधन संस्थान (आईएसटीएम) में भवन निर्माण के लिए 29 अप्रैल को हुई कटाई और प्रत्यारोपण का संज्ञान लिया।

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न्यायालय ने वन प्रभाग द्वारा प्रस्तुत एक आवेदन पर भी गौर किया, जिसे अंततः वापस ले लिया गया। उस आवेदन में वन प्रभाग ने इस बात पर स्पष्टता मांगी थी कि क्या अनुमतियां न्यायालय को सूचित करने के लिए थीं या न्यायालय के समक्ष रखी जानी थीं। इस आवेदन के साथ डीसीएफ दक्षिण द्वारा दायर एक हलफनामा भी था।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसके पहले के अवलोकन किसी भी तरह से डीसीएफ को यह मानने की अनुमति नहीं देते थे कि अगस्त 2023 का आदेश उन्हें महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए पेड़ों को काटने की अनुमति देता है। इसलिए न्यायालय ने निर्धारित किया कि प्रथम दृष्टया, डीसीएफ न्यायालय के अगस्त 2023 के आदेश का उल्लंघन करने का दोषी है और उसके खिलाफ न्यायालय की अवमानना के लिए कार्यवाही की जानी चाहिए। अदालत ने डीसीएफ से स्पष्टीकरण मांगा कि उसके खिलाफ न्यायालय की अवमानना के लिए कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 5 जुलाई को होगी।

गोपाल कृष्ण

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