संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. 25 नवंबर को इस सत्र की शुरुआत हुई और यह 20 दिसंबर तक चलेगा. इस हिसाब से सत्र के करीब 15 दिन बीत गए, लेकिन अब तक एक दिन भी ठीक से कामकाज नहीं हो पाया है. सदन के दोनों सदनों में विपक्ष के हंगामे के चलते कार्यवाही स्थगित हो जा रही है. विपक्ष संभल हिंसा और मणिपुर के हालात समेत कई मुद्दों पर लगातार संसद में हंगामा कर रहा है. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष नारेबाजी शुरू हो जाती है, जिससे कार्यवाही को स्थगित करना पड़ता है. इसी बीच विपक्ष के लगातार हमलों और बेबुनियाद आरोपों के जवाब में बीजेपी ने जॉर्ज सोरोस के बहाने कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है. बीजेपी ने तो कांग्रेस के जॉर्ज सोरोस के हाथों खेलने तक आरोप लगा दिए, फिर क्या था, इससे संसद में हंगामा और बढ़ गया. इन सबके बीच इंडी गठबंधन राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर नोटिस भेज दिया है. जिससे सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तलवारें खिंच गई हैं.
दरअसल आरोप है कि जगदीप धनखड़ ने विपक्ष को मुद्दों को उठाने की इजाजत नहीं दी, लेकिन कांग्रेस-जॉर्ज सोरोस के बीच कथित ‘लिंक’ पर सत्ता पक्ष को बोलने की अनुमति दे दी, जिससे विपक्षी सांसद खासे नाराज हो गए और उन्होंने सभापति धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान कर दिया. विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी से मुलाकात कर जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया, जानकारी के मुताबिक इस नोटिस पर विपक्ष के 60 सांसदों के दस्तखत हैं. बताया जा रहा है कि इस नोटिस पर कांग्रेस के अलावा, एसपी, टीएमसी, डीएमके, आप, आरजेडी, सीपीआई-एम और सीपीआई के सांसदों ने दस्तखत किए हैं.
विपक्ष ने सभापति पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है. विपक्ष का कहना है कि धनखड़ सदन में हेडमास्टर जैसा बर्ताव करते हैं और बोलने नहीं देते हैं. साथ ही वो अपने हिसाब से यानी मनमाने तरीके से सदन का संचालन करते हैं. विपक्षी सदस्यों को अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त मौका नहीं दे रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि सभापति का जिस तरह से व्यवहार कर रहे हैं, उससे हमारे पास उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था. संसदीय लोकतंत्र के हित में यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है. कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने तो यहां तक दावा कर दिया कि सरकार नहीं चाहती है कि सदन सुचारू ढंग से चले. हालांकि बीजेपी ने भी विपक्ष के आरोपों के जवाब दिये हैं. विपक्ष के नोटिस पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष हमेशा सभापति का अपमान करता है और उनका अनादर करता है. सदन में NDA के पास बहुमत है और हम सभी को सभापति पर भरोसा है.
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं. संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और पद से हटाने से जुड़े नियम बताए गए हैं. उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाए बिना राज्यसभा के सभापति को उनके पद से नहीं हटाया जा सकता है. संविधान के अनुच्छेद 67(बी) में कहा गया है कि- उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के एक प्रस्ताव, जो सभी सदस्यों के बहुमत से पारित किया गया हो और लोकसभा द्वारा सहमति दी गई हो, के जरिये उसके पद से हटाया जा सकता है. खास बात ये है कि 14 दिनों का नोटिस देने के बाद ही प्रस्ताव पेश किया जा सकता है. साथ ही नोटिस में ये बताना होगा कि ऐसा प्रस्ताव लाने का इरादा है. इसके अलावा प्रस्ताव पर कम से कम 50 सदस्यों के दस्तखत जरूर होने चाहिए.
विपक्ष ने जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस तो दे दिया, लेकिन इस प्रस्ताव को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश नहीं किया जा सकता है, क्योंकि संसद का मौजूदा सत्र 20 दिसंबर तक ही चलना है. यानी संसद की कार्यवाही अब 10 दिनों तक और चलेगी. इसके बाद सत्र का अवसान हो जाएगा. अविश्वास प्रस्ताव को नोटिस देने के 14 दिन बाद ही सदन में पेश किया जा सकता है, ऐसे में इस सत्र में कुछ भी हो पाना मुश्किल है.
प्रस्ताव को राज्यसभा के बाद लोकसभा से भी पास कराना होगा. लेकिन आंकड़े विपक्ष के पक्ष में गवाही नहीं दे रहे हैं. राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 245 हैं. उच्च सदन में मौजूदा सदस्यों की संख्या 234 है. इसमें बीजेपी के अकेले 96 सदस्य हैं. NDA की बात करें तो उसका आंकड़ा 113 हैं. फिलहाल 6 मनोनीत सदस्य भी जो आमतौर पर सत्ता पक्ष के ही समर्थक माने जाते हैं. यानी सत्ता पक्ष को 119 सांसदों का समर्थन हासिल है. कुल उधर, विपक्षी INDI गठबंधन के पास सर्फ 85 सांसद ही हैं. बीजेडी, वाईएसआरसीपी और एआईएडीएमके का रुख फिलहाल साफ नहीं है. ऐस में विपक्ष के लिए 118 सांसदों का समर्थन जुटाना आसान रहने वाला नहीं है. लोकसभा की बात करें तो यहां भी सत्तारूढ़ NDA के पास 293 सदस्य हैं, जबकि INDI गठबंधन के 236 सदस्य हैं. यहां बहुमत का आंकड़ा 272 है. लिहाजा इस प्रस्ताव को पास कराना यहां भी विपक्ष के लिए टेढ़ी खीर से कम नहीं है. INDI गठबंधन अपने साथ बाकी दूसरे 14 सदस्यों को भी साथ लाने में कामयाब हो जाए, तब भी इस प्रस्ताव कराना असान नहीं होगा. साफ है कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना सियासी और प्रतीकात्मक विरोध से ज्यादा कुछ नहीं है, क्योंकि, विपक्ष को पता है कि उसका ये प्रस्ताव औंधे मुंह गिर जाएगा. ऐसे में इस मुहिम को सियासी स्टंट कहना गलत नहीं होगा.
-भारत एक्सप्रेस
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