लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में डिप्टी स्पीकर का चुनाव कराने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को सुनवाई करेगा. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस मामले में सरकार को बताना चाहिए कि अभी तक लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद क्यों खाली है? अब तक इसके लिए चुनाव क्यों नहीं हुआ?
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट पेश वकील ने ये भी कहा गया कि राजस्थान, यूपी, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और झारखंड की विधानसभाओं में डिप्टी स्पीकर का पद खाली पड़ा है जो संविधान के अनुच्छेद 178 का उल्लंघन है. इससे जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2023 में नोटिस जारी करके केंद्र सरकार से जवाब मांगा था, लेकिन अब तक जवाब न फाइल होने की वजह से मामले की सुनाई टलती रही.
बता दें कि पिछले साल शारिक अहमद की तरफ से याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार के जवाब की मांग की गई थी कि लोकसभा के चार साल बीत जाने के बाद भी किसी भी सदस्य को लोकसभा के डिप्टी स्पीकर पद के लिए नहीं चुना जा सका है. जबकि संविधान का अनुच्छेद 93 स्पष्ट रूप से कहता है कि लोकसभा में स्पीकर के अलावा एक डिप्टी स्पीकर भी होगा. पिछली बार से लोकसभा में डिप्टी स्पीकर यानी उपाध्यक्ष का पद खाली पड़ा है.
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आजादी के बाद भारत में डिप्टी स्पीकर का पद खाली पड़ा है. डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परंपरा रही है. 17वीं लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद की कोई खास जरूरत नहीं पड़ी, इसका कारण ये है कि17वीं लोकसभा में विपक्ष लगभग नहीं के बराबर था. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि लोकसभा के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और झारखंड विधानसभाओं में नियमों के मुताबिक डिप्टी स्पीकर के पद पर चुनाव नही कराए गए हैं. यानी वहां संविधान में वर्णित डिप्टी स्पीकर का संवैधानिक पद भरा ही नही गया है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और राज्यों को ये पद भरने का आदेश जारी करे.
याचिका में हरियाणा विधान सभा नियमावली का हवाला प्रमुखता से दिया गया है कि वहां विधान सभा कार्यकारी क्रियान्वयन नियमावली में स्पष्ट प्रावधान है कि स्पीकर यानी अध्यक्ष के चुनाव के सात दिनों के भीतर उपाध्यक्ष यानी डिप्टी स्पीकर का चुनाव कराना अनिवार्य है.
-भारत एक्सप्रेस
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