भ्रष्टाचार के मामलों में पुलिसवालों को जेल भिजवाने वाला एक व्यक्ति खुद पुलिस की साजिश का शिकार हो गया. पीड़ित का आरोप है कि दिल्ली की उत्तर-पूर्वी जिला पुलिस की AATS ने उसे फर्जी मामले में फंसा दिया. इतना ही नहीं उसके परिजनों को धमकाकर 3 लाख रुपये रिश्वत भी वसूल लिए गए.
इस मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों ने उससे जब्त की गई केस प्रॉपर्टी में भी हेराफेरी कर दी, जिसके बाद अदालत के कड़े रुख के चलते उत्तर-पूर्वी जिला पुलिस में तैनात 2 थानेदारों सहित आठ हवलदारों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. सूत्रों की माने तो इस टीम को उगाही के लिए बदनाम एक आला अधिकारी का संरक्षण प्राप्त है.
दरअसल उत्तर-पूर्वी दिल्ली जिले में आने वाले घोंडा इलाके में रहने वाला पीड़ित भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त पुलिसवालों की आंख की किरकिरी बना हुआ है. बीते दिनों कोतवाली ट्रैफिक सर्किल, सोनिया विहार और वेलकम थाने में तैनात भ्रष्ट पुलिसवालों को उसी के कारण CBI ने गिरफ्तार किया था. इससे पहले भी वह उगाहीबाज पुलिसवालों पर भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों से शिकंजा कसवाता रहा है.
दर्ज मामले के अनुसार, घोंडा इलाके में गारमेंट की दुकान करने वाले एक व्यक्ति ने कड़कड़डूमा अदालत में उत्तर-पूर्वी जिला AATS के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. इस मामले में अदालत ने 2 सब-इंस्पेक्टरों और 8 हवलदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे.
शिकायत के अनुसार, ज्योति नगर थाने में फरवरी 2022 में चोरी और सामान की बरामदगी से संबंधित एक मामला दर्ज हुआ था, जिसमें उपेंद्र और सुरेंद्र नामक दो व्यक्ति के नाम दर्ज थे. इसके करीब आठ महीने बाद 15 अक्टूबर 2022 को दिन में करीब 3:30 बजे जिला पुलिस की AATS के तत्कालीन प्रभारी बलबीर चंद और उनके सहयोगी आवेदक के घर आए और उसे हिरासत में ले लिया.
उसके परिजनों से कहा गया कि उसके खिलाफ ज्योति नगर थाने में एक शिकायत दर्ज हुई है. जिस समय उसे गिरफ्तार किया गया, उस समय उसके हाथ में एक सोने की अंगूठी, एक रुद्राक्ष की माला और जेब में एक मोबाइल फोन था.
आरोप है कि SI बलबीर चंद के नेतृत्व में पुलिस टीम उसी दिन शाम लगभग 7:00 बजे फिर से आवेदक के घर गई और जबरन अंदर घुस गई. उन्होंने बिना सर्च वॉरंट के ही पीड़ित के घर की सभी मंजिलों की तलाशी शुरू कर दी. इस दौरान उसके घर से करीब 4 लाख रुपये नकद के अलावा उसकी मां के पर्स से 17 हजार रुपये भी जब्त कर लिए.
इसके अलावा पुलिस टीम सभी कीमती सामान, जिसमें 4 लाख 17 हजार रुपये नकद के अलावा एलसीडी, कंप्यूटर सिस्टम, कैश काउंटिंग मशीन, डीवीआर सीसीटीवी, 3 पुराने मोबाइल फोन, निकॉन कैमरा के साथ दुकान के जीएसटी बिल से संबंधित कुछ दस्तावेज शामिल थे, भी अपने साथ ले गई. हालांकि बरामदगी के तौर पर केवल नगदी, कैश गिनने की मशीन और सीपीयू ही दर्ज किया गया.
आरोप है कि SI बलबीर चंद, सोहन ठाकुर और उनके सहयोगी उसी रात लगभग 10:00 बजे फिर से पीड़ित के घर गए और उन्होंने परिजनों को धमकाया. पीड़ित की पत्नी ने उसी रात उपराज्यपाल और उत्तर पूर्वी दिल्ली जिला पुलिस उपायुक्त को ईमेल से शिकायत की थी.
इसके बाद 19 अक्टूबर 2022 को SI सोहन ठाकुर, SI बलबीर चंद और हवलदार विपिन फिर से पीड़ित के घर गए और 3 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की. पीड़ित के डरे सहमे परिजनों ने उन्हें इतनी रकम दे दी और अगले ही दिन पीड़ित को जमानत मिल गई.
जमानत मिलने के बाद पीड़ित थाने में तलाशी के दौरान जब्त सामान लेने गया तो उसे धमकाया गया. इस मामले में ज्योति नगर थाने के SI संजय यादव ने 19 जुलाई 2023 को न्यायालय में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की कि पीड़ित की तलाशी के दौरान जो मोबाइल जब्त किया गया था वह थाने में मौजूद है. आरोप है कि इसी मामले में 3 अगस्त 2023 को अदालत में इसी थानेदार द्वारा गलत तथ्य पेश किए गए थे.
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6 नवंबर 2023 को मामले के जांच अधिकारी सोहन लाल ने अदालत को गुमराह करने के लिए झूठा बयान दिया और झूठी रिपोर्ट पेश कर दी. इसमें कहा गया था कि पुलिस स्टेशन में नवीनीकरण कार्य चल रहा था और मालखाना को दूसरे कमरे में स्थानांतरित किया गया. इस दौरान केस संपत्तियों को भी स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसके चलते भूलवश कुछ वस्तुएं अपने मूल स्थान से हट गईं और उन्हें ढूंढने में कठिनाई हुई.
SI सोहन ठाकुर ने अदालत को बताया था कि पीड़ित का फोन सुरक्षित अभिरक्षा में है और इसे उसे सौंप दिया जाएगा. 8 नवंबर 2023 को पीड़ित थाने में फोन लेने गया तो मालखाना प्रभारी ने कहा कि ऐसा कोई भी मोबाइल जमा नहीं किया गया था. इतना ही नहीं पीड़ित ने पता किया तो जानकारी मिली कि थाने में कोई नवीनीकरण कार्य नहीं हुआ और न ही मालखाना स्थानांतरित किया गया था. SI सोहन ठाकुर ने अदालत को गुमराह किया था. इस मामले में अदालत के समक्ष प्रस्तुत की गई थानेदार संजय यादव और सोहन लाल की रिपोर्ट एक-दूसरे की विरोधाभासी हैं.
मगर इस बार एक नई कहानी सामने आई, जिसमें तत्कालीन SHO रविंदर जोशी ने 21 नवंबर 2023 को अदालत में एक रिपोर्ट पेश किया कि पीड़ित का मोबाइल फोन 20 नवंबर को डीडी नंबर 59ए के माध्यम से मालखाने में जमा कर दिया गया था. इसके तीन दिन बाद पीड़ित फिर से थाने में गया तो वहां मौजूद हवलदार सतेंद्र ने उसे एक बेकार सा फोन देने की कोशिश की. पीड़ित ने जब अपना मोबाइल मांगा तो उसे धमकाया गया.
इसके बाद कड़कड़डूमा अदालत ने AATS के 2 थानेदारों और 8 हवलदारों सहित अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 409/201/167 के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दे दिया. इस आधार पर ज्योति नगर थाने में सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
-भारत एक्सप्रेस
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