Shaista Parveen: उमेश पाल हत्याकांड मामले ( Umesh Pal Murder Case) में करीब ढाई महीने से फरार चल रही 50 हजार की इनामी शाइस्ता परवीन के बारे में सनसनीखेज खुलासा हुआ है. मीडिया सूत्रों की मानें तो लेडी डॉन ने अपने माफिया पति अतीक अहमद (Atiq Ahmed) और देवर अशरफ की हत्या के दूसरे दिन उसके जनाजे में शामिल होने का प्रयास किया था. वह इस तरह जनाजे में शामिल होना चाहती थी, कि पुलिस को भनक भी न लगे. इसी वजह से वह अतीक के वफादार जफरउल्लाह के खुल्दाबाद स्थित घर में ठहरी थी.
बताया जा रहा है कि उस वक्त उसके साथ उमेश पाल हत्याकांड का ही एक अन्य आरोपी पांच लाख का इनामी साबिर भी था. हालांकि पुलिस को इसकी भनक लग गई थी, लेकिन जब तक पुलिस वहां पहुंचती दोनों भाग निकले. इस बात का खुलासा जफरउल्लाह के बेटे आतिन जफर ने पुलिस से पूछताछ में किया है. जानकारी सामने आ रही है कि आतिन माफिया अतीक के बेटे असद का दोस्त है और उसके साथ ही लखनऊ में रहता था. उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस के डर से वह खुल्दाबाद स्थित अपने घर भाग आया था. इसी के बाद पुलिस ने उसको भी उठाया था.
सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में आतिन ने अतीक और शाइस्ता को लेकर काफी चौंकाने वाले राज सामने रखे हैं. बता दें कि उमेश हत्याकांड मामले में ही असद की भी पुलिस मुठभेड़ में मौत हो चुकी है. वहीं अतीक और अशरफ को बदमाशों ने उस वक्त गोली मार दी थी, जब दोनों को प्रयागराज के एक अस्पताल में पुलिस कस्टडी में ले जाया जा रहा था. इस मामले की भी जांच हो रही है.
पुलिस सूत्रों की मानें तो उसने बताया है कि 15 अप्रैल को अतीक-अशरफ की हत्या के अगले दिन फरार चल रही शाइस्ता खुल्दाबाद स्थित उसके घर पहुंची थी और उसके साथ उमेश पाल हत्याकांड में शामिल इनामी साबिर भी था. उसने पुलिस को बताया कि दोनों हुलिया बदलकर अतीक व अशरफ के जनाजे में शामिल होने की पूरी तैयारी कर ली थी और कसारी-मसारी स्थित कब्रिस्तान भी जाने वाले थे, लेकिन भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी और सघन चेकिंग की जानकारी होने के बाद उसने इरादा बदल दिया था और फिर रात भर रुकने के बाद अगले दिन तड़के ही घर छोड़कर भाग गए.
जानकारी सामने आ रही है कि दो मई को वह शाइस्ता के कहने पर ही किसी काम से वहीं पहुंचा था. इसकी भनक लगने के बाद ही रात में नौ बजे के करीब धूमनगंज पुलिस ने जफरउल्लाह के घर पर छापा भी मारा था लेकिन साबिर पहले ही वहां से भाग निकला और पुलिस फिर से खाली हाथ रह गई. बता दें कि हत्याकांड के ढाई महीने बीत जाने के बाद भी शाइस्ता और गुड्डू मु्स्लिम के साथ ही कई गुर्गे हाथ नहीं लगे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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