Hapur Lawyer Lathi Charge Case: हापुड़ में वकीलों पर किए गए लाठीचार्ज के मामले में अधिवक्ताओं ने आज भी हड़ताल जारी रखी है और 12 सितंबर को भी न्यायिक कार्य से दूर रहने की घोषणा की है. इस मामले में यूपी बार काउंसिल ने रविवार की देर रात आपात बैठक बुलाई और बड़ा फैसला करते हुए हड़ताल की घोषणा की है. बैठक में यह भी तय हुआ है कि अगर यूपी सरकार अधिवक्ताओं की मांगें नहीं मानती है और लाठीचार्ज के दोषियों पर कार्रवाई नहीं करती है तो फिर यह हड़ताल और लंबी खींचेगी. तो वहीं अब सरकार की ओर से की गई कार्रवाई को देखते हुए आगे का फैसला यूपी बार काउंसिल12 सितंबर की शाम 8 बजे फिर बैठक करने के बाद ही लेगा.
बता दें कि बीते दिनों हापुड़ में पुलिस ने महिला व पुरुष वकीलों पर लाठीचार्ज किया था. इसका वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें पुलिस वकीलों पर लाठी बरसाती दिखाई दे रही थी. तो वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले की जांच के लिए 6 सदस्यीय न्यायिक जांच समिति का गठन किया है. जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय कमेटी इस मामले की जांच करेगी तो वहीं पीड़ित अधिवक्ताओं के बयान दर्ज करेगी. इस कमेटी में जस्टिस राजन रॉय,जस्टिस मोहम्मद फैज आलम खान, महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह को शामिल किया गया है.
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बता दें कि जांच समिति के गठन के बाद से यूपी बार काउंसिल ने सोमवार से हड़ताल वापस लेने का फैसला किया था और मांगे पूरी करने की मांग को लेकर सरकार के विरुद्ध चरणबद्ध आंदोलन जारी रखने की घोषणा की थी लेकिन लखनऊ बार एसोसिएशन सहित प्रदेश के तमाम अधिवक्ताओं ने इसका विरोध कर दिया और मांगे पूरी न होने तक हड़ताल जारी रखने के लिए कहा. इसी के बाद यूपी बार काउंसिल ने आपात बैठक बुलाकर हड़ताल जारी रखने की घोषणा की है.
दूसरी ओर यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ ने मांगे पूरी न होने पर 20 सितंबर को यूपी विधानसभा का घेराव करने की घोषणा की है. उनका कहना है कि यूपी सरकार के किसी मंत्री या प्रतिनिधि ने वकीलों के जख्मों पर मरहम लगाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की. जिस बर्बरता के साथ लाठीचार्ज वकीलों पर किया गया और जो अधिकवक्ता इसमें घायल हुए हैं, उनसे उनका हाल भी नहीं पूछा गया. इसी के साथ शिव किशोर ने मीडिया को बताया कि, हमने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा था, लेकिन नहीं मिला, जिससे साफ होता है कि सरकार वकीलों के प्रति संवेदनहीन है. इस बेरुखी के खिलाफ यूपी बार काउंसिल चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करेगी. 20 अक्तूबर को प्रदेश भर के अधिवक्ता विधानसभा का घेराव करेंगे.
यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि समय रहते मांगें पूरी नहीं की गई तो, 16 सितंबर को सभी जिला मुख्यालयों, ट्रेजरी और रजिस्ट्री कार्यालयों पर धरना दिया जाएगा. पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ 22 सितंबर को काला फीता बांध कर काम करेंगे, जबकि 29 सितंबर को प्रदेश भर में सरकार का पुतला फूंका जाएगा. इसी के साथ अक्टूबर में कार्यक्रमों को लेकर कहा कि, छह अक्टूबर को मंडलवार और 13 अक्टूबर को बार कौंसिल के कार्यालय में प्रदेश के सभी बार संघों के पदाधिकारियों का सम्मेलन किया जाएगा.
वहीं खबर सामने आई है कि, यूपी बार काउंसिल ने चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर के समक्ष इस मामले में तत्काल सुनवाई करने की अर्जी दाखिल की थी, जिस पर शनिवार को चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी की खंडपीठ ने सुनवाई की. इसी के बाद नई कमेटी के गठन का निर्णय लिया गया है. हालांकि इससे पहले हाईकोर्ट ने वकीलों की हड़ताल खत्म कराने के लिए आह्वान किया था और सरकार की ओर से गठित विशेष जांच दल (SIT) में पूर्व जज को शामिल किए जाने की सहमति दी थी, लेकिन इस सबके बावजूद बार काउंसिल असंतुष्ट दिखा और हड़ताल जारी रखने का फैसला लिया है.
मीडिया सूत्रों की मानें तो हाईकोर्ट ने वकीलों की ओर से जो एफआईआर दर्ज कराई गई है, उस पर शासन की ओर से गठित एसआईटी से 15 सितंबर तक रिपोर्ट तलब की है. इसी के साथ इसी दिन जिस नई छह सदस्यीय न्यायिक कमेटी का गठन किया गया है वह भी अलग से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
लखनऊ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश पाण्डेय और महामंत्री कुलदीप नारायण मिश्र ने बताया कि, पुलिस प्रशालन द्वारा महिला अधिवक्ताओं के साथ-साथ अन्य अधिवक्तागणों के ऊपर बिना किसी कारण के बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज किया गया जिसमें अधिकांश अधिवक्तागण गम्भीर रूप से घायल हो गये है, जिनका इलाज अस्पताल में जारी है इस मामले में सरकार के सामने कई मांगें रखी हैं. अगर ये जल्दी पूरी नहीं होंगी तो हड़ताल जारी रखा जाएगा. बता दें कि अधिवक्ताओं ने मांग की है कि जिलाधिकारी और एसपी हापुड़ पर कार्रवाई करें.
-भारत एक्सप्रेस
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