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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि विधिक शुल्क के नाम पर अत्यधिक शुल्क वसूलना युवा अधिवक्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.

एनसीडीआरसी के इसी फैसले से वकीलों से जुड़े संस्थानों को आपत्ति थी. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि वकील या लीगल प्रेक्टिशनर, डॉक्टरों और अस्पतालों की तरह अपने काम का विज्ञापन नहीं कर सकते.

पीठ ने इस मामले में विचार करने के बाद कहा कि संतुलन सेंट्रल दिल्ली कोर्ट बार एसोसिएशन के पक्ष में है, क्योंकि इसका गठन दिल्ली बार काउंसिल ने किया है।

वकीलों की इस चिट्ठी पर पीएम मोदी ने प्रतिक्रिया दी है. पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है.

यूपी सरकार की ओर से एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को लागू किए जाने संबंध में जो कमेटी गठित की गई है, उसमें बार काउंसिल के अध्यक्ष की ओर से नामित सदस्य शामिल होंगे.

यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि समय रहते मांगें पूरी नहीं की गई तो, 16 सितंबर को सभी जिला मुख्यालयों, ट्रेजरी और रजिस्ट्री कार्यालयों पर धरना दिया जाएगा.