UP News: विकास कार्यों को लेकर उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों का लगातार दौरा कर रहे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत पहुंचे. जहां श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया और फिर जिले के जाट कॉलेज पहुंचकर जनता को सम्बोधित किया. इसके बाद सूबे की विकास यात्रा और अपने विजन के बारे में जनता को बताया. वहीं बच्चों के ऊपर स्नेह लुटाते हुए भी दिखाई दिए और खूब दुलार किया.
संवाददाता ने बताया कि आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बागपत के नांगल भगवानपुर गांव में पहुंचे, जहां उन्होंने कहा कि हमारी डबल इंजन की सरकार अन्नदाता किसानों के साथ है. संवाददाता के अनुसार, नांगल भगवानपुर गांव में योगी श्रीमद्भागवत कथा में शामिल हुए. इसके बाद उन्होंने मंदिर में 6.16 लाख की लागत से बने भवन का लोकार्पण किया. इस दौरान कथा स्थल पर बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे. कई परिवारों की माताएं अपने बच्चों के संस्कार कराने पहुंची थीं.
सीएम योगी इस मौके पर छोटे-छोटे बच्चों को देखकर उनको दुलराने लगे और अपनी गोद में ले लिया. उन्होंने बच्चों का नाम भी पूछा औऱ नाम से बुलाते हुए चम्मच से दूध पिलाकर सिर पर हाथ फेरकर उनको आशीर्वाद भी दिया. बच्चों के साथ मुख्यमंत्री की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई हैं.
इस मौके पर सीएम भगवानपुर नांगल गांव में श्री शिव गोरखनाथ मंदिर में पहुंचे और घंटा बजाकर लोकार्पण किया. इसके अलावा वह बाबा लच्छीनाथ और बाबा छोटेनाथ की समाधि पर पहुंचे और पुष्प अर्पित किया और फिर उन्होंने नव दुर्गा मंदिर में परिक्रमा कर पूजा अर्चना की और प्रदेश की तरक्की के लिए प्रार्थना की. बता दें कि इस मौके पर बागपत स्थित श्री गोरखनाथ आश्रम में परिसर में नवनिर्मित सत्संग भवन का लोकार्पण भी किया गया.
कार्यक्रम के मुताबिक, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ बागपत के बड़ौत कस्बे पहुंचे और जनता वैदिक कॉलेज के ग्राउंड से जनसभा को सम्बोधित करते हुए जिले को 351 करोड़ की 311 परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया. साथ ही विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को टैबलेट/स्मार्ट फोन और प्रमाण-पत्र भी वितरित किया. इसी के साथ बागपत का इतिहास बताते हुए कहा कि, ‘बागपत की धरती महाभारत कालीन कही जाती है. ऐसा माना जाता है पांडवो को जो 5 गांव जमीन मांगी थी, उसमें से एक बागपत भी था. ये पवित्र भूमि है.” सीएम ने आगे देश के त्योहारों को लेकर कहा कि, भारत मे पर्व और त्योहार हर्ष और उल्लास के होते हैं. इसमे दुख और शोक की कोई जगह नही है. अच्छा सोचने अच्छा करने से परिणाम अच्छा ही होता है.” इस मौके पर उन्होंने कहा कि, “इस धरती का सौभाग्य है जिसने भारत के इतिहास को बनते हुए देखा. ये वही धरती है जहां महाभारत हुआ था. उस महायुद्ध के बाद मानवता लहूलुहान हो चुकी थी, तब भगवान वेदव्यास ने महाभारत रूपी महाकाव्य की रचना की थी.”
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