Kanpur Dehat: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के मड़ौली गांव में 13 फरवरी को झोपड़ी में जिंदा जलकर हुई मां-बेटी की मौत मामले में रविवार को हाईकोर्ट के रिटायर जज कुदशी ने पीड़ितों से मुलाकात की और स्थलीय जांच की. इस मौके पर उन्होंने मृतका के परिजनों से बात करने के साथ ही आस-पास के गांव वालों से भी बात की और घटना के बारे में जानकारी हासिल की.
इस मौके पर उन्होंने मृतक महिला के बेटे शिवम दीक्षित से बात की और उसे न्याय दिलाने का पूरा भरोसा दिया. इस मौके पर शिवम ने बताया कि मामले में बहुत ही ढीली कार्रवाई हो रही है. उसे गालियां व धमकी दी जा रही है. पीड़ित ने कहा कि उनको सरकारी सुरक्षा गार्ड मिले हैं, लेकिन फिर भी उनको जान का खतरा बना हुआ है. शिवम ने कहा कि वह अपनी मां और बहन को खो चुका है और अब वह अपने परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं खोना चाहता है. उसने जल्द से जल्द आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. इसी के साथ उसने ये भी दावा किया कि मुकदमा दर्ज होने के बावजूद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
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यह था मामला
बता दें कि 13 फरवरी को मड़ौली गांव की एक झोपड़ी में मां-बेटी की जिंदा जलकर उस वक्त मौत हो गई थी, जब अवैध अतिक्रमण के नाम पर स्थानीय जिला प्रशासन इस झोपड़ी को भी हटाने के लिए दल-बल के साथ पहुंचा था. मालूम हो कि इस मामले में यह बात सामने आई थी कि झोपड़ी में आग उस वक्त लग गई थी, जब स्थानीय जिला प्रशासन व पुलिस की टीम झोपड़ी को ये कहते हुए तोड़ने पहुंची थी, कि झोपड़ी गैर कानूनी तरीके से बनी है. इस जमीन पर कब्जा किया गया है. इसी दौरान अंदर चूल्हे में खाना बन रहा था.
लोगों की बातों का प्रशासन पर नहीं हुआ था असर
लोगों ने प्रशासन को झोपड़ी तोड़ने के मना किया था, लेकिन प्रशासन नहीं माना और जैसे ही छप्पर हटाया झोपड़ी में आग लग गई और मां-बेटी जलकर मर गईं. बताया जाता है कि अगर छप्पर नहीं हटाया जाता तो दोनों महिलाओं को बचाया जा सकता था, क्योंकि जैसे ही छप्पर हटाया गया. एक भारी बल्ली नीचे गिर गई थी, जिसके नीचे मां-बेटी दब गईं और खुद को आग से नहीं बचा सकीं. वहीं ये भी कहा जा रहा था कि वहां मौजूद जिला प्रशासन अगर चाहता तो दोनों को बचा सकता था. फिलहाल इस पूरे मामले पर जिला प्रशासन संदेह के घेरे में रहा है. हालांकि पूरे मामले की जांच चल रही है.
-भारत एक्सप्रेस
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