UP Politics: समाजवादी पार्टी (सपा) कार्यालय में करीब सात साल बाद पहुंचने पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव का भव्य स्वागत किया गया. 2017 के बाद पहली बार उन्होंने पार्टी कार्यालय में कदम रखा है. विधानमंडल दल की बैठक में शामिल होने के लिए ही वह पार्टी दफ्तर पहुंचे हैं. लम्बे समय से उनके समर्थक कार्यालय में आने का इंतजार कर रहे थे. बताया जा रहा है कि अब चाचा शिवपाल के साथ ही भतीजे अखिलेश का जलवा देखने को मिलेगा.
बता दें कि कभी एक-दूसरे का चेहरा तक न देखने वाले और एक-दूसरे पर शब्द भेदी बाण छोड़ने वाले चाचा-भतीजे में आज जो जुगलबंदी दिखाई दे रही है. उसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों में तेजी से हो रही है. लगभग से 7 वर्षों के बाद समाजवादी पार्टी कार्यालय पहुंचने के बाद सियासी गलियारे में हड़कम्प मच गया है. बताया जा रहा है कि चाचा-भतीजे के बीच हुई सुलह के बाद यूपी असेंबली की भी तस्वीर बदली हुई नजर आएगी. जानकारी सामने आ रही है कि शिवपाल सिंह यादव उत्तर प्रदेश की विधानसभा में अग्रिम पंक्ति में बैठ सकते हैं. 20 फरवरी से यूपी विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है.
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बता दें कि बैठने की व्यवस्था में बदलाव के लिए सपा के मुख्य सचेतक मनोज कुमार पांडेय ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिखा है और जानकारी दी है कि अब शिवपाल पार्टी विधायक अवधेश प्रसाद की सीट पर पहली पंक्ति में बैठेंगे. जबकि अवधेश प्रसाद अखिलेश के बगल में बैठेंगे. अभी तक विपक्ष के नेता अखिलेश यादव के बगल की सीट आजम खान के लिए तय की गई थी. अब अयोध्या मिल्कीपुर सीट से सपा विधायक प्रसाद वहां बैठेंगे. क्योंकि हेट स्पीच में सजा के बाद आजम खान अयोग्य साबित हो चुके हैं.
इटावा जिले की जसवंत नगर सीट से विधायक शिवपाल सिंह यादव अब तक पिछली सीट पर बैठे नजर आते थे, लेकिन अब वह अग्रिम पंक्ति में बैठे नजर आएंगे. यूपी विधानसभा के एक अधिकारी ने बताया कि हमें पत्र मिल गया है. उसी के अनुसार व्यवस्था की जाएगी. ये पार्टी का अधिकार है कि वो अपने किस नेता को कहां बिठाए. पार्टी की तरफ से चिट्ठी मिलने के बाद हमें उसी के अनुरूप व्यवस्था करनी होती है.
बता दें कि 2017 के बाद से कई उतार-चढ़ाव के बाद चाचा-भतीजा के रिश्तों में सुधार हुआ है. पिछले साल अक्टूबर में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद से दोनों को पहली बार एक साथ देखा गया था. उसके बाद रिश्तों में कभी तल्खी तो कभी सुधार देखा गया, लेकिन आखिर में दोनों के बीच सुलह हो ही गई और अखिलेश ने उनको तोहफे के रूप में पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया.
-भारत एक्सप्रेस
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