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CII यूपी के एनुअल मीट में गूंजी रविन्द्रनाथ टैगोर की पंक्तियां

उत्तर प्रदेश में सीआईआई यूपी के वार्षिकोत्सव में उत्तर प्रदेश सरकार के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा, उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा, औद्योगिक विकास के प्रमुख सचिव अनिल अग्रवाल समेत सीआईआई उत्तर प्रदेश के पदाधिकारी एवं प्रमुख उद्यमी मौजूद रहे. इस दरम्यान उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास के विभिन्न पहलुओं पर परिचर्चा हुई.

क्या है CII?

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) सलाहकार और परामर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से उद्योग, सरकार और नागरिक समाज की भागीदारी के साथ भारत के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाने और बनाए रखने के लिए काम करता है. CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योग-आधारित और उद्योग-प्रबंधित संगठन है, जिसमें निजी और साथ ही सार्वजनिक क्षेत्रों के लगभग 9000 सदस्य हैं. जिनमें SME और MNC शामिल हैं, और 286 से 300,000 से अधिक उद्यमों की अप्रत्यक्ष सदस्यता है. 125 से अधिक वर्षों से, CII भारत की विकास यात्रा को आकार देने में लगा हुआ है और राष्ट्रीय विकास में भारतीय उद्योग की संलग्नता को बदलने के लिए सक्रिय रूप से काम करता है.

CII चार्ट नीतिगत मुद्दों पर सरकार के साथ मिलकर काम करने, विचारशील नेताओं के साथ इंटरफेस करने, और विशिष्ट सेवाओं और रणनीतिक वैश्विक संबंधों की एक श्रृंखला के माध्यम से उद्योग के लिए दक्षता, प्रतिस्पर्धात्मकता और व्यावसायिक अवसरों को बढ़ाने से बदलते हैं. यह प्रमुख मुद्दों पर आम सहमति बनाने और नेटवर्किंग के लिए एक मंच भी प्रदान करता है. सकारात्मक कार्रवाई, आजीविका, विविधता प्रबंधन, कौशल विकास, महिलाओं के सशक्तिकरण, और सतत विकास सहित विविध डोमेन में एकीकृत और समावेशी विकास के लिए नागरिक समाज संगठनों के साथ साझेदारी कॉर्पोरेट पहल को आगे बढ़ाती है.

भारत में उत्कृष्टता के 10 केंद्रों सहित 62 कार्यालयों और ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, जर्मनी, इंडोनेशिया, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका में 8 विदेशी कार्यालयों के साथ-साथ 133 देशों में 350 समकक्ष संगठनों के साथ संस्थागत भागीदारी के साथ, सीआईआई सेवा प्रदान करता है.

बक़ौल मंत्री ए के शर्मा सीआईआई का भारतीय औद्योगिक विकास में बड़ा योगदान है, मैंने खुद इस संस्थान से समन्वय स्थापित करके उद्योग जगत में काफी कार्य किया है.

बक़ौल मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश दुर्गा शंकर मिश्रा, हम सबकी अपनी क्षमताएँ एवं प्रतिभाएँ हैं, अगर हम ठान लें तो कुछ भी असम्भव नहीं.

उन्होंने रविन्द्र नाथ टैगोर की पंक्तियों-

“डूबते हुए सूरज ने दुनिया से पूछा, कौन करेगा मेरा काम मेरे डूबने के बाद.

सारी दुनिया शांत और स्तब्ध रह गई, तब मिट्टी के एक छोटे से टिमटिमाते हुए दिए ने हाथ जोड़कर बोला

मैं करूँगा मेरे आका जो मुझसे सम्भव होगा.” को दोहराते हुए कहा कि हम अगर अपनी क्षमतानुसार भी कार्य करें तो बहुत कुछ सम्भव है.

-भारत एक्सप्रेस

Divyendu Rai

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