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Uttarakhand Conclave: कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा बोले- पलायन रोकने के लिए शुरू हुईं कई योजनाएं; 3800 परिवारों को मिला काम

Uttarakhand Conclave: उत्तराखंड में बुधवार (13 मार्च 2024) भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क की ओर से ‘उन्नति की ओर’ कॉनक्लेव का आयोजन हो रहा है. आज के इस कार्यक्रम में प्रदेश के कई बड़े नेता और मंत्रियों ने हिस्सा लिया. इस क्रम में उत्तराखंड सरकार में कौशल विकास मंत्री ने भी हिस्सा लिया. कॉनक्लेव में उन्होंने विकास से जुड़ी कई योजना की सफलता को लेकर बातें कहीं. उन्होंने पलायन और राज्य की तरक्की को लेकर क्या कुछ कहा? आगे जानिए.

उत्तराखंड के 23 सालों का सफर कैसा रहा?

23 सालों के उत्तराखंड सफर के बारे में बताते हुए मंत्री कौशल विकास मंत्री सौरव बहुगुणा ने कहा कि सड़क, अस्पताल, स्कूल, टूरिज्म समेत तमाम क्षेत्रों में राज्य ने बहुत अच्छी उन्नति की है. मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में प्रदेश को और आगे लेकर जाएंगे. 23 सालों में उत्तराखंड के कुछ विजन पूरे हुए और कुछ को अंजाम तक पहुंचाने की लगातार कोशिश की जा रही है.

पलायन और रोजगार

पलायन और रोजगार से जुड़े सवाल का जवबा देते हुए सौरव बहुगुणा ने कहा कि जिस प्रकार से दादा जी (हेमवती नंदन बहुगुणा) ने उत्तराखंड के लिए काम किया और पूरे देश को एक नेतृत्व प्रदान किया. उनके नाम को आगे बढ़ाने का काम कर रहा हूं. उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने का लक्ष्य यह था कि पर्वतीय क्षेत्रों को विकसित किया जाएगा. एक समय समय में कहीं न कहीं उन क्षेत्रों को उपेक्षा की नजर से देखा जा रहा था. 2000 नवंबर में जब राज्य का गठन हुआ तो उस वक्त भी उद्देश्य यही था कि प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों को किस प्रकार आगे बढ़ाया जाए, विकसित किया जाए.

3800 परिवारों को मिला काम

उत्तराखंड में पलायन को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में मंत्री सौरव बहुगुणा ने कहा कि ‘पलायन का दर वास्तव में सही है और आज भी हम उसे सरकार की प्राथमिकता के तौर पर देख रहे हैं कि किस प्रकार इसे रोका जा सके’. राष्ट्रीय सुरक्षा भी एक बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि हम चारों तरफ से बॉर्डर से घिरे हुए हैं. उत्तराखंड से पलायन रोकने के लिए पशुपालन और कृषि विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इस वक्त लोगों का पशुपालन के प्रति रुझान बढ़ा है. पर्वतीय क्षेत्र में महत्वाकांक्षी योजना गोट वैली प्रोजेक्ट के तहत 1700 परिवारों को इस परियोजना से जोड़ा गया है. उन परिवारों के लिए व्यवसाय उत्पन्न हुआ. साथ ही पलायन की समस्या पर भी रोक लगी. कुक्कुट पालन में 2100 परिवारों को जोड़ा जा सका है.

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Dipesh Thakur

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