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15 साल में भी नहीं बन पाई ये सड़क, अब तक जा चुकी है 1500 लोगों की जान… क्या है NH-66 की कहानी?

Mumbai-Goa Highway: कहीं कोई सड़क बनाने में आमतौर पर कितना वक्त लग सकता है? आपका जवाब होगा, 2 साल से लेकर 5-10 साल तक. लेकिन देश में एक ऐसा सड़क भी पिछले 15 साल से बनाया जा रहा है, जिसका काम खत्म ही नहीं हो रहा. अब तक इस हाईवे पर करीब 1500 लोगों की मौत हो चुकी है. जी हां हम बात कर रहे हैं मुंबई गोवा हाईवे की. करीब डेढ़ दशक से इस हाईवे का निर्माण कार्य जारी है. राज ठाकरे के नेतृत्व वाली मनसे ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है. मनसे ने इसके लिए पिछले दिनों एक सभा भी आयोजित की थी. आइये जानते हैं कि NH-66 की कहानी क्या है?

डेढ़ दशक में नहीं हो पाया पूरा काम

बता दें कि पिछले 15 सालों से गोवा-मुंबई हाईवे का निर्माण कार्य जारी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 से 2022 के बीच इस हाईवे पर हुए दुर्घटनाओं में करीब 1500 लोगों की मौत हो चुकी है. बताया जाता है कि साल 2011 में ही इस हाईवे का निर्माण कार्य शुरू हो चुका था. अब तक इस हाईवे पर 6,692 दुर्घटनाएं हुई हैं. मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि उन्होंने मुंबई-गोवा राजमार्ग पर उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से बात की थी. लेकिन उन्हें कई बहाने मिले, जबकि इस पर अब तक 15,500 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं.

ठाकरे ने सरकार पर साधा निशाना

ठाकरे ने कहा, “गोवा कृषि भूमि की बिक्री की अनुमति नहीं देता है और अगर खरीदा भी जाता है, तो इसका उपयोग केवल कृषि के लिए किया जा सकता है. गोवा के भाजपा मुख्यमंत्री ने कहा कि वह गोवा में गुड़गांव नहीं चाहते. वह उत्तर भारतीय लोगों के आने के बारे में बात कर रहे थे. अगर यही बात राज ठाकरे कहते हैं तो वह देशद्रोही हो जाते हैं. आप कई अन्य राज्यों में भी जमीन नहीं खरीद सकते, लेकिन महाराष्ट्र सभी के शोषण के लिए है.”

ठाकरे ने कहा, “भाजपा ने हमसे पहले सड़कें बनाना और टोल बूथ बनाना सीखने को कहा. मेरा मानना है कि भाजपा को पहले अन्य पार्टियों को तोड़े बिना अपनी पार्टी बनाना सीखना चाहिए. उन्होंने कहा, “वे लोगों को बंदूक की नोक पर पकड़ते हैं और उन्हें अपनी पार्टी में लाते हैं.”

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“गड्ढ़ों की तलाश में चांद पर जाने की क्या जरूरत, महाराष्ट्र में इससे…”

हाईवे में हुए गड्ढों को लेकर ठाकरे ने सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “चंद्रयान -3 को इतनी बड़ी लागत पर गड्ढों की तलाश के लिए चंद्रमा पर क्यों भेजा गया है, जबकि इसे महाराष्ट्र भेजा जा सकता था, जहां इसे हर जगह गड्ढे मिलते.” ठाकरे ने कहा, “लोग इतने सालों से गड्ढों और ट्रैफिक जाम के कारण पीड़ित रहे हैं और मुझे आश्चर्य है कि आप अभी भी उन्हें वोट देते हैं. उन्हें सबक सिखाकर घर क्यों नहीं बैठाया जाता? क्षेत्र के सभी विधायक और सांसद क्या कर रहे हैं?”

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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