जनवरी 2022 से मई 2024 तक विजिटर वीजा (Visitor Visa) पर कंबोडिया, थाईलैंड, म्यांमार और वियतनाम की यात्रा करने वाले 73,138 भारतीयों (Indians) में से 29,466 अब तक वापस नहीं लौटे हैं, इनमें से आधे से अधिक यानी 17,115 लोग 20-39 वर्ष आयु वर्ग के हैं और 21,182 पुरुष हैं. इनमें से एक तिहाई से अधिक लोग तीन राज्यों – पंजाब (3,667), महाराष्ट्र (3,233) और तमिलनाडु (3,124) से हैं और इन देशों में से सबसे अधिक 20,450 लोग थाइलैंड (Thailand) गए हैं, जो 69 प्रतिशत से अधिक है.
कुछ दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में तमाम भारतीयों के ‘साइबर गुलामी’ (Cyber Slavery) में फंसने की खबरों के बीच गृह मंत्रालय (Home Ministry) के तहत आव्रजन ब्यूरो (Immigration Bureau) द्वारा संकलित आंकड़ों में ये नए विवरण सामने आए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि केंद्र के उच्चस्तरीय अंतर-मंत्रालयी पैनल ने अब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को जमीनी स्तर पर सत्यापन करने और इन लोगों का ब्योरा प्राप्त करने का निर्देश दिया है. इस मुद्दे पर विचार करने के लिए मई में गठित पैनल ने आव्रजन विभाग को डेटा संकलित करने का निर्देश दिया था.
ऐसा माना जा रहा है कि इस महीने की शुरुआत में आव्रजन ब्यूरो ने दूरसंचार विभाग, वित्तीय खुफिया इकाई, भारतीय रिजर्व बैंक, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, NIA, CBI, अन्य एजेंसियों के सुरक्षा विशेषज्ञों और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गृह मंत्रालय द्वारा आयोजित एक बैठक में डेटा साझा किया था.
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आंकड़ों के अनुसार पंजाब, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के अलावा, 2,946 लोग उत्तर प्रदेश, 2,659 केरल, 2,140 दिल्ली, 2,068 गुजरात, 1,928 हरियाणा, 1,200 कर्नाटक, 1,169 तेलंगाना और 1,041 राजस्थान से हैं.
बाकी में उत्तराखंड से 675, पश्चिम बंगाल से 609, आंध्र प्रदेश से 602, मध्य प्रदेश से 419, बिहार से 348, जम्मू कश्मीर से 263, हिमाचल प्रदेश से 187, चंडीगढ़ से 132, ओडिशा से 126, झारखंड से 124, गोवा से 115, असम से 92, छत्तीसगढ़ से 73, पुदुचेरी से 39, मणिपुर से 38, नगालैंड से 33, लद्दाख से 22, सिक्किम से 20, मेघालय से 18, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव से 14, मिजोरम से 14, त्रिपुरा से 12, अरुणाचल प्रदेश से 6, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से 4, और लक्षद्वीप से 2 लोग शामिल हैं.
सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने बताया, ‘29,466 यात्रियों में से 21,182 पुरुष हैं. कुल यात्रियों में से 20,450 थाईलैंड, 6,242 वियतनाम, 2,271 कंबोडिया और 503 म्यांमार से वापस नहीं लौटे हैं.’
सूत्र ने बताया, ‘आयु के हिसाब से देखें तो 8,777 यात्री 20-29 वर्ष की आयु के हैं; 8,338 यात्री 30-39 वर्ष की आयु के हैं; 4,819 यात्री 40-49 वर्ष की आयु के हैं; 2,436 यात्री 50-59 वर्ष की आयु के हैं; 1,896 यात्री 10-19 वर्ष की आयु के हैं; 1,543 यात्री 0-9 वर्ष की आयु के हैं; 1,189 यात्री 60-69 वर्ष की आयु के हैं; 399 यात्री 70-79 वर्ष की आयु के हैं; 60 यात्री 80-89 वर्ष की आयु के हैं और 9 यात्री 90-99 वर्ष की आयु के हैं.’
जिलेवार आंकड़ों के अनुसार, 1,017 लोग मुंबई उपनगरीय क्षेत्र, 784 गोरखपुर, 700 बेंगलुरु शहरी क्षेत्र, 585 अहमदाबाद, 561 लुधियाना, 523 पुणे, 483 ठाणे, 455 चेन्नई, 440 जालंधर और 425 हैदराबाद से हैं.
आव्रजन विभाग ने पाया है कि 12,493 लोग दिल्ली हवाई अड्डे, 4,699 मुंबई, 2,395 कोलकाता, 2,296 कोच्चि, 2,099 चेन्नई, 1,911 बेंगलुरु और 1,577 लोग हैदराबाद से इन देशों की यात्रा पर गए थे.
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बीते मार्च महीने एक रिपोर्ट सामने आई थी कि 5,000 से ज्यादा भारतीयों के कंबोडिया (Cambodia) में फंसने का संदेह है, क्योंकि उन्हें कथित तौर पर उनकी इच्छा के विरुद्ध पकड़ा गया है और साइबर धोखाधड़ी (Cyber Frauds) करने के लिए मजबूर किया गया है.
सरकारी अनुमान के अनुसार, इस साल मार्च से पहले छह महीनों में भारतीयों को कम से कम 500 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया था. इसके बाद केंद्र ने इस मुद्दे पर विचार करने और खामियों की पहचान करने के लिए अंतर-मंत्रालयी पैनल का गठन किया था. समझा जाता है कि पैनल ने बैंकिंग, आव्रजन और दूरसंचार क्षेत्रों में खामियों की पहचान की है. इस महीने की शुरुआत में हुई बैठक में आव्रजन ब्यूरो से उन भारतीय नागरिकों की पहचान करने के लिए तंत्र विकसित करने को कहा गया था जो ‘साइबर गुलामी’ (Cyber Slavery) के संभावित शिकार हो सकते हैं. नागरिक उड्डयन मंत्रालय से संभावित पीड़ितों के आगे के पलायन को रोकने के लिए उपायों को लागू करने को भी कहा गया था.
Cyber Slavery या साइबर गुलामी के शिकार लोगों का मामला कुछ दक्षिण-पूर्व एशियाई (South East Asia) देशों जैसे थाईलैंड, कंबोडिया और म्यांमार से सामने आए हैं. इन लोगों को बताया जाता है कि उन्हें ‘लाभदायक’ डेटा एंट्री जॉब मिलेगी और फिर उन्हें उनकी इच्छा के खिलाफ पकड़कर रखा जाता था और अन्य लोगों के साथ साइबर धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया जाता है.
बचाए गए कुछ लोगों ने बताया था कि इन देशों में भेजे जाने के बाद उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते हैं. इसके बाद इन लोगों को इन ‘धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों’ द्वारा काम पर रखा जाता है, जहां वे महिलाओं की तस्वीरों का उपयोग करके नकली सोशल मीडिया अकाउंट बनाते हैं, ताकि लोगों को क्रिप्टोकरेंसी ऐप या धोखाधड़ी वाले निवेश फंड में निवेश करने के लिए लुभाया जा सके. और जैसे ही इनमें से कुछ लोग निवेश करते हैं, उनसे सभी तरह का संचार बंद करके या ‘ब्लॉक’ कर दिया जाता है.
-भारत एक्सप्रेस
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