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Bohra Muslim: कौन हैं बोहरा मुस्लमान? जो गुजरात की अर्थव्यवस्था में दे रहे हैं महत्वपूर्ण योगदान

Bohra Muslim: मुस्लिम समाज मुख्य तौर पर दो हिस्सों में बंटा है, शिया और सुन्नी. ये बात सभी जानते हैं लेकिन लोग ये नहीं जानते कि इस्लाम को मानने वाले लोग 72 फिकरों में बंटे हैं. जिनमें एक बोहरा मुस्लिम भी हैं. बोहरा मुसलमानों का एक समुदाय है जिसका ताल्लुकात यमन से है. भारत में ज्यादातर बोहरा मुस्लिम गुजरात के बडोदरा में हैं. कहा ये भी जाता है कि ये समाज अलावी बोहरा से संबंधित है.

अलावी बोहरा 11वीं शताब्दी में 18वें फातिमिद इमाम अल-मुस्तानसिर बिल्लाह के समय यमन से भेजे गए मिशनरियों के बारे में पता लगाने के लिए आए थे. इन मिशनरियों ने खंभात, गुजरात में एक धार्मिक मिशन की स्थापना की. जानकारी के मुताबिक, बोहरा 11वीं शताब्दी में गुजरात में स्थापित तैयबी दावा के वंशज हैं. हालांकि, इस समुदाय में यमन के अप्रवासी लोग भी शामिल हैं.

यमन के मिशनरियों ने किया बोहरा समाज का गठन

भारत में बोहरा समाज के गठन के लिए 11वीं शताब्दी में यमनी मिशनरियों को गुजरात भेजा गया था. इन्हीं मिशनरियों ने बोहरा समुदाय के गठन में योगदान दिया. कहा जाता है कि इनमें एक व्यक्ति थे वुलत उल-हिंद. इन्होंने ही मिशनरियों के प्रतिनिधि के रूप में काम किया था.

बोहरा समुदाय के लोग आमतौर पर व्यवसाय के लिए जाने जाते हैं. यह समुदाय सकारात्मक संबंधों पर विशेष जोर देते हैं.
‘बोहरा’ शब्द की उत्पत्ति एक गुजराती शब्द से हुई है जिसका अर्थ है ‘व्यापार करना’. बता दें कि गुजरात में सुन्नी समूह हैं जिन्होंने ‘वोहरा’ या ‘वोरा’ नाम अपनाया है, हालांकि ये लोग इस्माइली-तैयबी बोहराओं की मान्यताओं और रीति-रिवाजों का पालन नहीं करते हैं.

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बोहरा में भी तीन समूह

15वीं और 17वीं शताब्दी के बीच इमाम दाई के समय पर तीन प्रमुख बोहरा समूहों का गठन हुआ: अलाविस, दाऊदिस और सुलेमानिस. शुरुआत में यमनी प्रवासियों को नई संक्कृति और जीवन के तरीके को अपनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा. हालांकि, उन्होंने धीरे-धीरे अपने पैर जमा लिए और अपने अनूठे रीति-रिवाजों और परंपराओं को संरक्षित करते हुए स्थानीय समाज में एकीकृत होने लगे.

देश में कई मस्जिदों का निर्माण बोहरा समुदाय ने कराया

धीरे-धीरे बोहरा समुदाय ने अपने नेटवर्क को बड़ा किया. मस्जिदों, सांस्कृतिक केंद्रों और यमनी संघों की स्थापना की. वडोदरा में यमनी समुदाय का एक महत्वपूर्ण पहलू स्थानीय अर्थव्यवस्था में उनका योगदान है. यमनी प्रवासी कपड़ा, मसाले और खुदरा व्यापार सहित विभिन्न व्यवसायों में शामिल रहे हैं. उन्होंने खुद को सफल उद्यमियों और व्यापारियों के रूप में स्थापित किया है, जिससे शहर के आर्थिक विकास में वृद्धि हुई है.

सांस्कृतिक रूप से, वड़ोदरा में यमनी समुदाय ने शहर की विविधता को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यमनी परंपराएं, व्यंजन और कपड़े वड़ोदरा की बहुसांस्कृतिक चित्रपट का हिस्सा बन गए हैं. इनके रहन-सहन में कई हिंदू प्रथाएं भी शामिल हैं. दाऊदी बोहरा समाज की महिलाएं आमतौर पर काफी पर काफी पढ़ी-लिखी होती हैं.

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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