G20 शिखर सम्मेलन का भव्य आगाज हो गया है. अगले दो दिनों तक दुनियाभर के नेता दिल्ली में उपस्थित रहेंगे. शुक्रवार शाम से ही वैश्विक लीडरों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था. अमेरिकी राष्ट्रपति से जो बाइडेन से लेकर ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक तक का गर्मजोशी से भारत में स्वागत हुआ. शनिवार यानी आज पीएम मोदी ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में जी20 शिखर सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दिया. दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के सामने रखी कंट्री नेमप्लेट पर इंडिया की जगह ‘भारत’ लिखा था.
पिछले कुछ दिनों से देश का नाम इंडिया या भारत को लेकर राजनीति गर्म है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार देश का नाम बदलने जा रही है. बता दें कि मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के उद्देश्य से विपक्षी दलों ने एक गठबंधन बनाया है, जिसका नाम है INDIA. विपक्षी गठबंधन के नाम सामने आने के बाद से ही NDA सरकार देश का नाम इंडिया इस्तेमाल करने से बच रही है.
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इससे पहले जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले विदेशी नेताओं को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से रात्रि भोज के निमंत्रण में भी INDIA की जगह भारत में बदलाव को लेकर विपक्ष ने जबरदस्त बवाल काटा था. चूंकि देश के नाम को लेकर बहस संसद के विशेष सत्र से पहले शुरू हुई है तो हो सकता है कि सत्र के दौरान नाम में बदलाव पर चर्चा की जा सकती है और पारित किया जा सकता है.
सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्यों का कहना है कि देश के नाम में इंडिया की जगह भारत को प्रधानता मिलनी चाहिए. हालांकि, सरकार की ओर से इस बात की पुष्टि नहीं की गई है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि अगामी विशेष सत्र के दौरान देश के नाम पर कोई प्रस्ताव नहीं लाया जा रहा है.
हालांकि, पीएम मोदी ने बुधवार को कैबिनेट बैठक के दौरान अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों से ‘भारत’ मुद्दे पर राजनीतिक विवाद से बचने के लिए कहा है. उन्होंने कहा अपने पार्टी के सहयोगियों को पूरा ध्यान ‘सनातन विवाद’ पर केंद्रीत करने के लिए कहा. वहीं पीएम ने INDIA और भारत विषय पर केवल पार्टी प्रवक्ताओं को बोलने की हिदायत दी है.
बताते चलें कि संविधान के अंग्रेजी संस्करण की प्रस्तावना, “हम, भारत के लोग…” शब्दों से शुरू होती है और फिर दस्तावेज़ के भाग एक में कहा गया है “इंडिया, यानी भारत, राज्यों का एक संघ होगा.” इंडिया का नाम बदलकर केवल भारत करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी जिसे संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित करना होगा.
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