Women’s Day 2024: कल अंतरराष्ट्रिय महिला दिवस (International Women’s Day 2024) है. महिलाएं दुनिया की आधी आबादी का हिस्सा हैं और समाज में अहम रोल निभाती हैं. समाज की प्रगति में महिलाओं का बड़ा योगदान है और आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. यहां तक कि पुरुष प्रधान क्षेत्रों में भी अपनी एक अलग जगह बना कर आगे बढ़ रही हैं और आने वाली पीढ़ियों को मोटिवेट कर रही हैं. इस विश्व महिला दिवस पर हम ऐसी ही कुछ महिला आईपीएस अधिकारियों से आपका परिचय कराने जा रहे हैं जो न केवल अपनी बहादुरी से अपने पद पर रहते हुए अपराधियों में खौफ पैदा कर दिया है बल्कि शालीन व्यवहार से आम जनता के साथ ही पुलिस विभाग में एक अलग जगह भी स्थापित की है. इसी के साथ ही घर-परिवार में भी बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं. इस खास मौके पर भारतीय समाज भी उनकी बहादुरी को सलाम करता है.
IPS ख्याति गर्ग ( Khyati Garg) वर्तमान में मुरादाबाद 9वीं पीएसी कमांडेंट हैं. वह राजधानी में डीसीपी यातायात सहित कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा चुकी हैं. डॉ. ख्याति गर्ग को फिक्की स्मार्ट पुलिसिंग अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. वह बेहद शालीन और शांत स्वभाव की पुलिस अधिकारी हैं. उनके दो बच्चे हैं और लग लगातार अपने पद को सम्भालते हुए घर और बच्चों की देखरेख में जुटी हुई हैं. वह किस तरह से अपनी नौकरी और बच्चों व घर के साथ तालमेल बिठाती हैं, के सवाल पर कहती हैं कि, सबसे पहले उनको उनके पिता ने हमेशा मजबूत होना सिखाया. इसके बाद रहही-सही कसर आईपीएस की ट्रेनिंग में पूरी हो गई. वह कहती हैं कि ट्रेनिंग के दौरान जो प्रैक्टिस मेल सहयोगी करते थे वही वह भी करती थीं. इसका मतलब ये है कि महिलाएं शरीर से भी कमजोर नहीं होती. अक्सर देखा जाता है कि लोग कहते हैं कि महिलाएं शारीरिक रूप से किसी कार्य को पुरुषों के बराबर नहीं कर सकती. इसको लेकर ख्याति गर्ग कहती हैं कि ऐसा नहीं है. बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान भी ख्याति गर्ग लगातार अपने क्षेत्र में रहीं और लोगों की मदद की. इस दौरान वह भी संक्रमित हो गई थीं. वह कहती हैं कि, संक्रमण के दौरान उनको अपने बच्चे से दूर रहना पड़ा था. वहीं उनके पति गुड़गांव में हैं और प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत हैं. ख्याति गर्ग कहती हैं कि उनको हमेशा ही पति और घर का सपोर्ट मिलता रहा है. इसीलिए वह अपनी नौकरी के साथ ही घर की जिम्मेदारी भी बखूबी सम्भाल रही हैं.
आईपीएस रवीना त्यागी (Raveena Tyagi) ने अपने काम और प्रभाव के लिए एक अलग पहचान बनाई है. उनका नाम तेज तर्रार अधिकारियों में शामिल हैं. मेहनत से किए अपने कामों और ईमानदारी के लिए वह जानी जाती हैं. वह कानपुर में बतौर डीसीपी ट्रैफिक तैनात थी, जहां से उनका तबादला होने के बाद वह अब यूपी की राजधानी लखनऊ में डीसीपी सेंट्रल होने के साथ ही डीसीपी 112 का उनको अतिरिक्त चार्ज मिला हुआ है. ये उनका व्यवहार ही है कि जब वह कानपुर से लखनऊ ज्वाइन करने के लिए आ रही थीं और कानपुर में विदाई समारोह रखा गया था तब महिला सिपाहियों ने रोते हुए उनको विदाई दी थी. रवीना त्यागी ने बतौर डीसीपी ट्रैफिक रहते हुए भी कानपुर के यातायात को सुधारा. कानपुर में उन्होंने महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई की. इसके बाद उन्होंने कानपुर की बड़ी समस्याओं में से वहां के यातायात को भी काफी व्यवस्थित किया. मूल रूप से गौतम बुद्ध नगर की रवीना त्यागी 2014 में IPS बनीं. वह अक्सर सोशल मीडिया पर अपनी ईमानदार छवि और नेक कामों के लिए छाई रहती हैं. रवीना त्यागी के पति आईआरएस हैं. वह कहती हैं कि, वह कहती हैं कि महिलाएं अगर कुछ भी करने की ठान लें तो उनके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है. इसी के साथ ही जॉब और घर के बीच तालमेल कैसे बिठाती हैं, के सवाल पर वह कहती हैं कि ये परिवार के सहयोग से सम्भव हो पाता है.
उत्तर प्रदेश कैडर की महिला आईपीएस वृंदा शुक्ला (Vrinda Shukla) वर्तमान में एसपी बहराइच हैं और उनके पति अंकुर अग्रवाल भी आईपीएस अधिकारी हैं और वह एसपी बांदा हैं. वह बहराइच में रहते हुए घर और नौकरी दोनों को ही बखूबी निभी रही हैं. वह कहती हैं कि, फिलहाल हम लोगों को काफी सुविधा मिलती है, ऐसे में हमारे लिए ये जॉब उतनी चैलेंजिंग नहीं है जितनी कि महिला कांस्टेबल की. घर और नौकरी में तालमेल बिठाने को लेकर वह कहती हैं कि, घर आने के बाद भी वह 100 प्रतिशत अपना समय घर को नहीं दे पातीं क्योंकि लगातार किसी न किसी काम के लिए फोन आता ही रहता है. इसी के साथ उन्होंने महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि, महिलाओं को अपना राइट प्लेस समझने की जरूरत है. उनके अंदर जो पोटेंशियल है उसके साथ वह आगे बढ़ें. ये समय महिलाओ का है.
बता दें कि हाल ही में वृंदा शुक्ला खूब चर्चा में रहीं और उनको सबसे अधिक सोशल मीडिया पर सर्च किया गया था. बीते कुछ महीने पहले उन्होंने बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे-बहू पर बड़ी कार्रवाई की थी. उन्होंने यूपी के चित्रकूट जिले की जेल में बंद अब्बास अंसारी की पत्नी और ड्राइवर को गिरफ्तार किया था. अब्बास की पत्नी निखत रोज अपने पति से मिलने जेल आती थी और वह यहां 4-5 घंटे रहती थी, जिसकी कोई एंट्री रजिस्टर में दर्ज नहीं की जाती थी. इसकी जानकारी होने के बाद उन्होंने पूरा प्लान बनाया और सिविल ड्रेस पहन निजी गाड़ी से जेल में अचानक निरीक्षण के लिए पहुंच गईं और इसी दौरान निखत को उसके पति अब्बास अंसारी के साथ दबोच लिया था. इस पर वृंदा ने तुरंत कार्रवाई करते हुए निखत और उनके ड्राइवर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. पढ़ाई पूरी करने के बाद वृंदा शुक्ला ने अमेरिका की एक निजी कंपनी में नौकरी भी की थी और वहीं से यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी. साल 2014 में वृंदा शुक्ला आईपीएस बनीं और उन्हें नागालैंड का कैडर मिला. इसके बाद साल 2022 में उन्हें 07 दिसंबर को चित्रकूट में आईपीएस का पद मिला.
-भारत एक्सप्रेस
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