Dowry System Ban in UP: यूपी में दहेज प्रथा पर लगाम लगाने के लिए योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. बेटियों का अहित करने वाली इस प्रथा के खिलाफ शासन ने उत्तर प्रदेश दहेज प्रतिषेध नियमावली 2004 का पालन सख्ती से कराने जा रही है. इसको लेकर नए सिरे से निर्देश जारी कर दिए गए हैं. अब प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को दहेज न लेने के लिए शपथपत्र देना होगा और ये शपथ पत्र अपने नियुक्ति अधिकारी के पास जमा कराना होगा.
मीडिया सूत्रों के मुताबिक, महिला कल्याण विभाग की निदेशक संदीप कौर ने सभी विभागाध्यक्षों को उत्तर प्रदेश दहेज प्रतिषेध नियमावली 2004 का कड़ाई से पालन कराने के दिशा-निर्देश दे दिए हैं. निदेशक ने कहा है कि सभी सरकारी विभागों के कर्मचारियों व अधिकारियों से इसका शपथ पत्र लिया जाए. उन्होंने ये भी कहा है कि इसके लिए निर्धारित फॉर्मेट में एक शपथ पत्र भरकर देना होगा, जिसमें स्पष्ट करना होगा कि उसने शादी के समय या बाद में दहेज नहीं लिया है.
बता दें कि प्रदेश सरकार लगातार जनता के हित में फैसला ले रही है. इसी क्रम में दहेज प्रथा पर लगाम लगाने के लिए अब उत्तर प्रदेश दहेज प्रतिषेध नियमावली 2004 का सख्ती से पालन कराने का निर्देश दिया गया है. इसके बाद सरकारी सेवा में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी अपनी शादी में अब दहेज नहीं ले सकेंगे. उनको दहेज न लेने के लिए शपथ पत्र देना होगा. उनको शपथ पत्र में ये बताना होगा कि उन्होंने शादी के दौरान कोई दहेज नहीं लिया है. इस शपथ पत्र को अपने नियुक्ति अधिकारी को देना होगा.
बता दें कि उत्तर प्रदेश दहेज प्रतिषेध नियमावली 2004 के नियम – 6, उप नियम – 4 (i) में यह प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक सरकारी कर्मचारी अपने विवाह के पश्चात् यह कथन करते हुए विभागाध्यक्ष को घोषणा प्रस्तुत करेगा कि उसने कोई दहेज नही लिया है. घोषणा पत्नी, पिता और ससुर द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा.
बता दें कि दहेज निषेध अधिनियम (Dowry Prohibition Act), 1961 के अनुसार दहेज लेने, देने या इसके लेन-देन में साथ देने वालों को 5 साल की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके साथ 15,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है. तो वहीं दहेज के लिए मारपीट करने अथवा कीमती चीजों की मांग करने पर IPC की धारा 498a के तहत सजा का प्रावधान किया गया है. इसके लिए 3 साल की जेल और जुर्माना का प्रावधान है.
बता दें कि यूपी में सबसे बड़े सरकारी सेवा वर्ग से शिक्षक जुड़े हुए हैं. प्रयागराज से लेकर कानपुर तक के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों ने योगी सरकार की इस व्यवस्था का स्वागत किया है और कहा है कि वह खुद भी दहेज नहीं लेंगे और अपने छात्रों को भी दहेज न लेने की शिक्षा देंगे. शिक्षकों ने कहा है कि हमें दहेज नहीं, पढ़ी-लिखी लड़की को प्राथमिकता देनी चाहिए.
कानपुर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष चंद्रदीप सिंह यादव और माध्यमिक शिक्षकों के नेता शैलेंद्र द्विवेदी ने कहा कि दहेज प्रथा हमारे समाज की सबसे बड़ी बुराई है. हम सभी को शासन के इस आदेश का पालन करना चाहिए. दहेज प्रथा भारतीय समाज के लिए अभिशाप है. इस प्रथा की वजह से न जाने ही कितनी बेटियों को मौत के मुंह में जाना पड़ा है. इस बुराई को खत्म करने के लिए योगी सरकार के साथ हम सभी शिक्षक हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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