सूबे की योगी सरकार का गड्ढामुक्त सड़क बनाने का फरमान विभाग के अधिकारियों के लिए मुसीबत बन गया है. तमाम अधिकारी इस आदेश को पूरा करने में जी जान से जुट गए हैं.
यूपी की सड़कों को 15 नवंबर तक गड्ढामुक्त करने का सीएम ने क्या ऐलान किया.कि तमाम आला अधिकारियों की नींद उड़ गई है. अब इस फरमान की तामील को अमल में लाने के लिए कवायद तो शुरू हो चुकी है. लेकिन इस गड़्ढामुक्ति के प्रयास में अधिकारियों की छुट्टी कर दी गई है.
पिछले अक्टूबर में सीएम ने एक उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को अल्टीमेटम दिया था, जिसे देखते हुए प्रदेशभर में सड़कों के गड्ढे भरे जाने का काम तेज गति से चल रहा है. वहीं दूसरी तरफ डेडलाइन भी नजदीक आ गई है, जिसे देखते हुए पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद ने एक महीने तक लोक निर्माण विभाग में काम करने वाले सभी अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं.
अधिशासी अधिकारी ने बताया कि छठ की वजह से मज़दूरों की कमी के कारण निर्माण कार्य में कमी आई है, और अब किसी को भी आकस्मिक अवकाश को छोड़कर किसी अन्य प्रकार की छुट्टी नहीं दी जायेगी.
यूपी में अक्सर सड़कों पर गड्ढों को लेकर शिकायतें सामने आती रहीं हैं. वहीं मानसून सीजन में हुई बारिश के बाद सड़कों पर गड्ढों की संख्या में इजाफा भी हुआ है. सड़कों पर गड्ढे होने की वजह से अक्सर दुर्घटनाओं की आशंकाएं बनी रहती हैं.
हादसों की स्थिति तो ये है कि सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ लगातार अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक कर रहें हैं. उन्होंने राज्यभर में एक व्यापक अभियान चलाकर प्रदेश की सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के निर्देश दिए थे. सीएम ने 15 नवंबर तक इन अभियान को पूरा करने को कहा है.
सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की सड़कों को 15 नवंबर तक गड्ढा मुक्त करने का आदेश दिया है, जिस पर अमल में लाते हुए जिले के लगभग 40 फीसदी सड़कों को गड्ढामुक्त कर दिया गया है, जबकि अन्य सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का काम जारी है. इस क्रम में जो रोड़ा है वो नोयडा और गाजियाबाद की सड़कें हैं.
स्थानीय लोगों ने बताया कि गड्ढों के चलते कभी भी किसी भी दुर्घटना के शिकार हो जाते है. इन दुर्घटनाओं को टालने के लिए खुद को संभलकर चलना लोग ज्यादा मुनासिब समझ रहे हैं. इसके लिए लोगों ने घटिया क्वालिटी और बिना आवाजाही रोके निर्माण कार्य को जिम्मेदार बताया है.
सीएम योगी का कहना है कि कोई व्यक्ति गांव में रहता हो या फिर मेट्रो सिटी में, अच्छी सड़कें, बेहतर कनेक्टिविटी उसका अधिकार है. ऐसे में सड़क सिंगल लेन की हो अथवा दो, चार या छह लेन की, उसकी गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए. यह सुनिश्चित किया जाए कि सड़क निर्माण कार्य समय पर पूरा हो. समय-समय पर इनके गुणवत्ता की जांच की जाए. लापरवाही अथवा अमानक स्तर के मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ जवाबदेही तय की जाए.
-भारत एक्सप्रेस
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