शहीद-ए-आजम भगत सिंह को अंग्रेजों ने फांसी की सजा दी थी. आजादी दिलाने के लिए प्राण न्योछावर करने वाले सरदार भगत सिंह भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में ससम्मान याद किए जाते हैं. उनका घर लाहौर में था, जोकि अब पाकिस्तान का मुख्य शहर है. खबर आ रही है कि पाकिस्तान की पंजाब सरकार वहां के चर्चित बस स्टेशन ‘शादमान चौक’ को भगत सिंह के नाम पर रखने वाली है.
लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के नाम पर रखे जाने की खबर भारत-पाकिस्तान में तेजी से फैल गई है. हालांकि, धरातल पर अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मामले में पाकिस्तान स्थित पंजाब सरकार ने उच्च न्यायालय से और समय देने की मांग की है.
लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शम्स महमूद मिर्जा एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जहां भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान के द्वारा अवमानना कार्यवाही की मांग की जा रही है. उक्त याचिका में शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने के कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने के लिए प्रांतीय और जिला सरकार के तीन शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई.
लाहौर हाईकोर्ट ने सन्र 2018 में पंजाब की राजधानी लाहौर में स्थित शादमान चौक का नाम शहीद भगत सिंह चौक पर रखने का आदेश दिया था, जहां पर उन्हें 93 साल पहले फांसी दी गई थी. सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के सहायक महाधिवक्ता इमरान खान ने अदालत से कहा कि शादमान चौक का नाम स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रखने की अधिसूचना जारी करने के लिए सरकार को और समय दिया जाना चाहिए. इस मामलें पर कोर्ट ने सरकारी कानून अधिकारी के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और सुनवाई 7 जून तक के लिए स्थगित कर दी.
याचिकाकर्ता के वकील खालिद जमा कक्कड़ ने दलील दी कि इस मामले में पहले ही काफी देरी हो चुकी है.प्रांतीय और जिला सरकारों ने 2018 में चौक का नाम बदलने के लाहौर उच्च न्यायालय के आदेश का जानबूझकर पालन नहीं करके अवमानना की है.
भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद कुरेशी ने कहा कि भगत सिंह उपमहाद्वीप के स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने आजादी के लिए अपने साथियों के साथ अपनी जान दे दी.
उन्होंने कहा, “शदमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखना और पाकिस्तान और दुनिया के लोगों को प्रेरित करने के लिए चौक पर उनकी प्रतिमा स्थापित करना न्याय के हित में होगा.”.उन्होंने कहा कि पड़ोसी भारत में कई सड़कें और रास्ते हैं जो अकबर रोड, शाहजहाँ रोड और बहादुर शाह रोड जैसे मुस्लिम शासकों के नाम रखा हुआ है तो पाकिस्तान प्रातं की सरकार शदमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर क्यों नही रख सकती.
भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 को ब्रिटिश शासकों ने शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर के साथ शासन के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में फांसी दे दी थी.भगत सिंह को पहले आजीवन कारावास की सजा दी गई थी,लेकिन बाद में एक अन्य “मनगढ़ंत मामले” में मौत की सजा दी गई. भगत सिंह का उपमहाद्वीप में न केवल सिखों और हिंदुओं द्वारा बल्कि मुसलमानों द्वारा भी सम्मान किया जाता है.
पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने कथित तौर पर केंद्रीय असेंबली में अपने भाषण के दौरान उन्हें दो बार श्रद्धांजलि दी और कहा कि उपमहाद्वीप में भगत सिंह जैसा कोई दूसरा बहादुर व्यक्ति नहीं हुआ.
-भारत एक्सप्रेस
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