ज्ञानवापी केस मामले में हिंदू पक्ष को झटका लगा है.स्थानीय अदालत ने फैसला दिया है कि कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं होगी.इस फैसले पर दोनों पक्षों की निगाहें टिकी हुई थीं.इसे लेकर दावा किया गया है कि शिवलिंग ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाया गया है. हिंदू पक्ष की ओर से याचिका में विचाराधीन वस्तु की आयु स्थापित करने के लिए कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) का इस्तेमाल करने की मांग की गई थी. लेकिन अदालत के इंकार करने के बाद हिंदू पक्ष की मांग खारिज हो गयी है.
कार्बन डेटिंग क्या है?
इंसानों की उम्र उसके जन्म वर्ष के आधार पर पता लगाई जा सकती है, लेकिन किसी वस्तु या पौधों, मृत जानवरों, या जीवाश्म अवशेषों के लिए उम्र को स्थापित करना काफी जटिल हो जाता है. यहीं पर काम आती है कार्बन डेटिंग. कार्बन डेटिंग सदियों से मौजूद वस्तुओं के इतिहास या विभिन्न प्रजातियों के विकास की प्रक्रिया को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
अदालत ने साफ कहा कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं होती. हालांकि अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में भी कार्बन डेंटिंग करवाई गई थी. इस पर जस्टिस बोबड़े ने मूर्ति की कार्बन डेटिंग पर सवाल किया था और तब मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि ईंटों की कार्बन डेटिंग नहीं हो सकती है. कार्बन डेटिंग तभी होती है जब उसमें कार्बन की मात्रा हो.इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष आहत है और उसने कहा कि इस फैसले के खिलाफ वह हाईकोर्ट का रुख करेंगे
–भारत एक्स्प्रेस
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