सपा के संयोजक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी की लोकसभा सीट खाली हो चुकी है. नेता जी की इस संसदीय सीट पर सपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है, जिससे शिवपाल यादव को तगड़ा झटका लगा है.
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के बीच दूरियां कम होने के कयास लगाए जा रहे थे. ऐसा इसलिए क्योंकि नेता जी के बाद सपा पार्टी के अलावा यादव परिवार में भी शिवपाल सबसे वरिष्ठ हैं. उन्होंने समाजवादी पार्टी को खड़ा करने के लिए नेता जी के साथ नींव खोदने से लेकर इमारत खड़ी करने में हर एक कदम पर अपना पूरा सहयोग किया है.
राजनीतिक विशेषज्ञ ऐसा अनुमान लगा रहे थे कि, मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट परअखिलेश यादव चाचा शिवपाल यादव को उनका उत्तराधिकारी बना सकते हैं. मैनपुरी सीट के उपचुनाव का शंखनाद बजते ही राजनीतिक गलियारों में यह खबर तेजी से चल रही थी कि, चाचा शिवपाल यादव को नेता जी की संसदीय सीट मिलने के बाद दोनों में आपसी मन-मुटाव खत्म हो जाएगा और नेता जी के ना रहने के बाद भी सपा अपने किले को मजबूत करने में कामयाब हो सकेगी.
तमाम गुणा-गणित को खारिज करते हुए अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव को एक जोर का झटका दे दिया है. सूत्रों के अनुसार मैनपुरी सीट के लिए मुलायम सिंह के राजनैतिक उत्तराधिकारी के रूप में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के भतीजे और लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप यादव का नाम तय माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि, अखिलेश यादव मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके तेज प्रताप सिंह यादव का नाम मैनपुरी उपचुनाव के लिए उम्मीदवार के तौर पर ऐलान कर सकते हैं.
मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई रतन सिंह यादव के पौत्र तेज प्रताप सिंह यादव को मैनपुरी सीट पर उतारने की खबरे राजनीतिक गलियारों में जोर-शोर से चल रही हैं. सपा सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव मैनपुरी लोकसभा सीट पर तेज प्रताप सिंह यादव को उम्मीदवार बना सकते हैं. तेज प्रताप की पत्नी राजलक्ष्मी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी हैं. इस तरह रिश्ते में वो लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं.
ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि नेता जी के राजनीतिक गढ़ मैनपुरी उपचुनाव में तेज यादव का ही नाम क्यों ? ऐसा इसलिए क्योंकि तेज प्रताप के पिता रणवीर सिंह यादव राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय थे. परिवार में बच्चपन से पिता और दादा के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों को देखते हुए तेज प्रताप की रुची भी राजनीति में हो चली. पिता के महज 36 साल की उम्र में निधन के बाद तेज पूरी तरह से सक्रिय राजनीति में उतर आए. उन्हें अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत प्लाक प्रमुख के रुप में की थी.
मैनपुरी सीट को यादव परिवार का गढ़ माना जाता है. इस सीट पर आज तक बीजेपी कमल नहीं खिला पाई है. 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान जिस समय देश में नरेंद्र मोदी की लहर थी उस समय भी सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ और मैनपुरी दो लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी. बाद में नेता जी ने मैनपुरी की सीट छोड़ दी थी और उपचुनाव में सपा ने इस सीट पर तेज प्रताप यादव को मैदान में उतारा था.
इस चुनाव में तेज प्रताप यादव ने बीजेपी के सामने जीत दर्ज करके नेता जी की संसदीय सीट पर जीत के सिलसिले को कायम रखा था. इस लिहाज से अखिलेश यादव इन्हीं सारे समीकरणों को साधते हुए मैनपुरी सीट पर तेज प्रताप यादव को मैदान में बीजेपी के सामने उतारना चाह रहे हैं.
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अभी तक तो यही लग रहा था कि शिवपाल ही मैनपुरी उपचुनाव लोकसभा सीट पर बीजेपी के सामने उतरेंगे. शिवपाल सिंह यादव ने खुद कई मौकों पर मैनपुरी से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी.
शिवपाल ने मुलायम सिंह यादव के निधन से पहले उनके खराब स्वास्थय और चुनाव लड़ने की बात को लेकर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि, “मुलायम सिंह यादव के मैनपुरी से चुनाव न लड़ने पर वे इस सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. सपा संरक्षक लगातार अस्वस्थ रहने की वजह से हो सकता है कि 2024 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ें. हालांकि इसकी संभावना काफी कम है. तब मैं खुद वहां से चुनावी मैदान में उतर सकता हूं.”
शिवपाल यादव के इस बयान के बाद एक हवा यह भी चल रही थी कि प्रगतिशील सपा (प्रसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव अपनी पार्टी से नेताजी के खिलाफ 2024 लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट पर मैदान में उतरेंगे. हालांकि शिवपाल यादव ने बाद में अपने इस बयान पर सफाई भी दी थी.
उन्होंने कहा था कि, “मैनपुरी लोकसभा सीट से लड़ने का सवाल है तो हम नेताजी (मुलायम सिंह) के होते यह सोच भी नहीं सकते कि हम नेताजी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. नेताजी स्वस्थ रहे और पहले भी जिताया था और अब फिर जिताएंगे.”
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