नई दिल्ली-भारत बदल रहा है ,तरक्की के रास्ते पर है.. भारत के इतिहास में 8 सितंबर का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम को करीब 8 बजे सेंट्रल विस्टा ऐवन्यू प्रोजेक्ट का उद्घाटन कर दिया.ये बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर है. पीएम मोदी गुरुवार शाम 7 बजे इंडिया गेट पर पहुंचे थे. जहां सबसे पहले उन्होने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विशाल प्रतिमा का अनावरण किया. नेताजी की यह प्रतिमा 28 फीट ऊंची है जिसे सिंगल ब्लैक ग्रेनाइट से बनाया गया है. इसके बाद उन्होने राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखने की घोषणा की. राजपथ का नाम पहली बार नहीं बदला गया है. इसके पहले इस ऐतिहासिक पथ का नाम किंग्सवे था. जिसके बाद इसे राजपथ का नाम दिया गया औऱ अब यह कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाएगा. कर्तव्य पथ के इस पूरे इलाकों को लाल-हरी लाइटों से भव्य तरीके से सजाया गया था. इस कार्यक्रम में तमाम राजनेताओं के साथ-साथ फिल्मी औऱ व्यापार जगत की कई बड़ी हस्तियों ने भी शिरकत की. बता दें 20 हजार करोड़ की लागत से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को बनकर तैयार होने में 19 महीने का समय लगा.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के उद्घाटन के बाद अपना संबोधन शुरु किया. पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि गुलामी का प्रतीक राजपथ अब कर्तव्यपथ बन गया है. उन्होंने कहा कि गुलामी का प्रतीक किंग्सवे अब से इतिहास की बात हो गई है. पीएम ने कहा कि आज कर्तव्य पथ के रुप में इतिहास का नया निर्माण हुआ है. इस खास अवसर पर मैं सभी देशवासियों को आजादी के इस अमृतकाल में गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए सभी देशवासियों को बहुत बधाई देता हूं.
इंडिया गेट पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करने के बाद अपने संबोधन में पीएम ने मोदी ने कहा कि…. आज हमारे राष्ट्र नायक नेता जी सुभाष चंद्र बोस की विशाल मूर्ति की स्थापना हो गई है. गुलामी के समय यहां ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की मूर्ति लगी हुई थी. आज देश उसी जगह पर नेता जी की मूर्ति स्थापना करके आधुनिक भारत सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा रख दी है. पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के बाद देश ने नेता जी को भुला दिया. अगर हम आजादी के बाद नेता जी और बापू के दिखाए रास्ते पर चले होते तो आज हमारा देश कितनी नई ऊंचाइयों पर होता. लेकिन हमारा दुर्भाग्य रहा कि हमने अपनी आजादी के महानायक नेता जी सुभाष चंद्र बोस को भुला दिया. यहां तक कि उनसे जुड़े प्रतीकों और चिन्हों को भी नजरअंदाज करते चले गए.
-भारत एक्सप्रेस
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