दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि सेंट स्टीफंस कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच कथित सीट आवंटन विवाद के बीच अल्पसंख्यक श्रेणी के छात्र को कक्षाओं में पढ़ने की अनुमति देने वाले उसके आदेश का अनुपालन किया जाना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ को विश्वविद्यालय ने सूचित किया कि उसने छात्र को अगले आदेश तक कक्षाओं में पढ़ने की अनुमति देने वाले न्यायालय के 28 अक्टूबर के आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की है.
पीठ ने कहा यदि अवमानना करने वालों को लगता है कि वे कानून से ऊपर हैं, तो हम उन्हें बताएंगे कि वे कानून से ऊपर नहीं हैं. हम उन्हें उनके आचरण के बारे में बताने के लिए यहां बुलाएंगे. हमारा आदेश सही या गलत हो सकता है, लेकिन आपको इसका अनुपालन करना होगा. पीठ ने कहा इस न्यायालय का मानना है कि जब तक आदेश वापस नहीं लिया जाता, तब तक इसका अनुपालन किया जाना चाहिए. न्यायिक आदेश का जानबूझकर अनुपालन न करने के लिए विश्वविद्यालय के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग करने वाली एक याचिका दायर की गई थी.
दिल्ली विश्वविद्यालय के वकील ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि वे 28 अक्टूबर के फैसले का अनुपालन करेंगे और उनके अधिकारों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेंगे. न्यायालय ने बाद में उनके बयान को स्वीकार कर लिया और कहा कि विश्वविद्यालय इससे बंधा हुआ है. अवमानना याचिका पर सुनवाई 11 नवंबर तय की गई है. उसी दिन आदेश को वापस लेने के लिए डीयू की याचिका पर भी सुनवाई होगी.
खंडपीठ ने अक्टूबर में कॉलेज और छात्र द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर विचार करते हुए यह आदेश पारित किया था, जिसमें उसे प्रवेश देने से मना कर दिया गया था. छात्र को कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति देते हुए खंडपीठ ने ऐसी सीटों का और आवंटन न करने का आदेश दिया. तथ्य यह है कि एकल न्यायाधीश ने अपने फैसले में पाया है कि सेंट स्टीफंस कॉलेज में 18 छात्र प्रवेश के हकदार थे और अपीलकर्ता छात्र द्वारा चुने गए संयोजन में एक सीट खाली है, इसलिए न्यायालय अंतरिम रूप से उसे अगले आदेश तक कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति देता है.
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उच्च न्यायालय ने कॉलेज से अगले आदेश तक अल्पसंख्यक कोटा श्रेणी के तहत कोई और सीट आवंटित न करने को कहा था. न्यायालय ने एकल न्यायाधीश के 14 अक्टूबर के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई की थी, जिसमें कहा गया था कि 19 में से 18 छात्र योग्यता के आधार पर कॉलेज में प्रवेश पाने के हकदार हैं. एकल न्यायाधीश के समक्ष, कॉलेज ने डीयू को अल्पसंख्यक समुदाय के सभी उम्मीदवारों की सूची को मंजूरी देने और अपलोड करने के निर्देश मांगे, जिन्हें उनके प्रवेश को मंजूरी देने के लिए भेजा गया था.
-भारत एक्सप्रेस
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