दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि तेज गति में गाड़ी चलाने से यह निष्कर्ष नहीं निकलता कि चालक ने लापरवाही से तेज गति से वाहन चलाया था. न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने उक्त टिप्पणी करते हुए एक व्यक्ति मनीष कुमार को तेज गति से कार चलाने और दो पैदल यात्रियों को टक्कर मारने के आरोप से बरी कर दिया. उन दोनों की बाद में मृत्यु हो गई थी.
न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि यह मान भी लिया जाए कि आरोपी तेज गति से वाहन चला रहा था तो यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं है कि वह लापरवाही से तेज गति से कार चला रहा था. उन्होंने यह टिप्पणी उस व्यक्ति की अपील पर सुनवाई करते हुए की जिसमें उसने निचली अदालत के तेज गति से वाहन चलाने के जुर्म में दोषी ठहराने एवं दो साल की सजा को चुनौती दी थी. न्यायमूर्ति ने उसे बरी करते हुए कहा कि कोई ऐसा सबूत पेश नहीं किया गया है जिससे पता चले कि वह कार को तेज गति से चला रहा था. किसी भी गवाह या अभियोजन पक्ष की ओर से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई कि तेज गति का क्या मतलब है या वह व्यक्ति किस गति से कार चला रहा था.
कोर्ट ने कहा कि खामियां होने के कारण अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सक्षम नहीं है कि आरोपी तेज गति से कार चला रहा था, जिसकी वजह से दो पैदल यात्रियों की मृत्यु हो गई.
ये भी पढ़ें: दिल्ली हाईकोर्ट ने यूएपीए के तहत गिरफ्तार आरोपी मोइरंगथेम आनंद सिंह की जमानत याचिका खारिज
-भारत एक्सप्रेस
IPL 2025 में RR के बल्लेबाज रियान पराग के विवादित आउट ने मैच में हलचल…
मार्च में भारत के हेल्थकेयर सेक्टर में 62% की सालाना वृद्धि दर्ज हुई, जिसकी प्रमुख…
सनी देओल एक और दमदार फिल्म के साथ सिनेमाघरों में वापस आ गए हैं. इस…
रिलायंस समूह के डायरेक्टर अनंत अंबानी ने अपने जन्मदिन पर पिता मुकेश अंबानी के साथ…
मुंबई के 26/11 अटैक के आरोपी तहव्वुर राणा को विशेष विमान से भारत लाया गया…
बिल्डिंग मटेरियल सेक्टर में शहरीकरण और तकनीकी विकास के चलते हायरिंग में 30% की वृद्धि…