दिल्ली हाईकोर्ट ने एसिड अटैक के पीड़ितों के लिए अवलंबन निधि योजना, 2024 के क्रियान्वयन का आदेश दिया है, जो राष्ट्रीय राजधानी के निवासी हैं या जिनके खिलाफ अपराध यहां किया गया है, चाहे उनका पता कुछ भी हो.
कोर्ट ने हाल ही में दिए फैसले में कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा तैयार की गई इस योजना में एसिड अटैक के पीड़ितों के पुनर्वास और अन्य सहायक खर्चों को पूरा करने के लिए 10 करोड़ रुपये की स्थायी निधि होगी और इसका संचालन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (मुख्यालय) द्वारा किया जाएगा.
कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (मुख्यालय) इस योजना के कार्यान्वयन के लिए एक अलग खाता खोलेंगे, जिसके बाद इस न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल आसरा कोष में पड़े धन को ‘अवलंबन निधि योजना, 2024’ के तहत नए खोले गए खाते में ट्रांसफर करेंगे.
अदालत ने कहा इसके अतिरिक्त, इस न्यायालय या किसी अन्य न्यायालय के आदेशों के तहत लगाया गया जुर्माना और लागत, जिसे योजना के तहत जमा करने का निर्देश दिया गया है, वह भी कोष के कोष में जोड़ा जाएगा.
अदालत एक पॉक्सो मामले में एक आरोपी द्वारा दायर जमानत याचिका पर विचार कर रहा थी. हालांकि, पिछले महीने एकल न्यायाधीश ने याचिका का निपटारा कर दिया था, लेकिन यह मामला खंडपीठ के समक्ष रखा गया था, क्योंकि यह आरोप लगाया गया था कि दुष्कर्म के साथ नाबालिग पीड़िता को जबरन टॉयलेट क्लीनर पिलाया गया था.
कोर्ट ने कहा, ऐसी दुनिया में जहां साहस क्रूरता का सामना करता है, पीड़ितों की हृदय विदारक पीड़ा को कम करने के लिए एक योजना तैयार करना अनिवार्य है, जिन्होंने न केवल शारीरिक और मनोवैज्ञानिक चोटों को सहन किया है, बल्कि अकल्पनीय दर्द, पीड़ा और भय भी सहा है.
पीठ ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 396 पीड़ित मुआवजा योजना स्थापित करने और इसके लिए धन उपलब्ध कराने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों की जिम्मेदारियों को रेखांकित करती है. इस प्रकार, पीड़ितों की प्रतिपूरक जरूरतों को विधिवत मान्यता दी गई है और दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना, 2018 के तहत उनका निवारण किया गया है.
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-भारत एक्सप्रेस
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