Rape Case: एक आठ वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के मामले में दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने 28 वर्षीय व्यक्ति को 20 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने पीड़िता को 13.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है. एडिशनल सेंशन जज बबीता पुनिया ने अपने आदेश में कहा कि बच्ची का बलात्कार नृशंस कृत्य है. बच्चे किसी भी समाज की सबसे कीमती धरोहर है. समाज का यह कर्तव्य है कि वह न केवल उन्हें यौन हिंसा व उत्पीड़न से बचाए बल्कि उन्हें खुश भी रखे.
सजा पर बहस केदौरान सरकारी वकील ने अधिक सजा की मांग की थी. कोर्ट ने कहा कि दोषी ने 3 अप्रैल 2016 को उस वक़्त बच्ची का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया था, जब वह नूडल्स खरीदने के लिए जा रही थी. यह बच्ची के लिए साधारण एक खुशी का मौका था, लेकिन वह एक हिंसक व दर्दनाक अनुभव बन गया. यह उसके साथ जीवन भर रहेगा. कोर्ट ने दोषी के इस दलील को खारिज कर दिया कि मामला डिजिटल पेनिटेशन का है, इसलिए इस मामले में नरम रुख अपनाया जाना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि मैं इससे सहमत नहीं हूं. विधायिका ने डिजिटल और लैंगिक पेनिटेशन के बीच कोई अंतर नहीं किया है. उन्होंने कहा कि दर्ज सुनाते समय अपराध और सजा के बीच सही संतुलन बनाना होगा. मैं 20 साल के कठोर कारावास की दर्ज को उचित मानता हूं. मेरे विचार आए यह उचित दंड, समाज को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेगा और दोषी को उसके कृत्य की गंभीरता का एहसास कराएगा. साथ ही पुनर्वास की गुंजाइश भी छोड़ेगा.
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