दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने इस कोर्ट को अलविदा कह दिया, क्योंकि केंद्र सरकार ने उन्हें फिर से उनके मूल स्थान इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित कर दिया है. अपने विदाई भाषण में जस्टिस सिंह ने कहा कि न्याय करना कोई यांत्रिक काम नहीं है. उसमें दिमाग एवं दिल का संतुलन बनाना पड़ता है.
उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्तियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि वह खुद को वास्तव में भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें ऐसे सहकर्मी मिले जो उनके परिवार और दोस्तों की तरह थे तथा हर कदम पर उनके साथ चले.
जस्टिस ने कहा कि आज मैं इस हाईकोर्ट को अपनी पुरानी यादों के साथ नहीं बल्कि आशा और प्रेरणा के साथ छोड़ रहा हूं. क्योंकि इस कोर्ट में मैं संविधान को बनाए रखने एवं लोगों की सेवा करने की प्रतिबद्धता देखता हूं. उन्होंने कहा कि न्याय का उद्देश्य शात है और कानून में हमेशा एक साहसी आत्मा होती है जो उस उद्देश्य को उसे उठाने के लिए तैयार रहता है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति के रूप में सेवा करना उनके जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है. वे उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर सुल्तानपुर से आए है और वह अपने परिवार का पहली पीढ़ी है जिसने वकालत की है. अपनी शुरूआत को याद करते हुए कहा कि जीवन में कुछ भी आसान नहीं होता है. हर व्यक्ति के पास संघर्ष का अपना हिस्सा होता है. वास्तव में ये चुनौतियां जीवन की सुंदरता है. आपलोगों के मार्गदर्शन, शुभकामनाएं एवं समर्थन से हमने अपना हिस्सा पार किया है.
उन्होंने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की भी प्रशंसा करते हुए कहा कि यह देश में सबसे जीवंत व गतिशील में से एक है. जस्टिस सिंह ने वर्ष 1993 में दिल्ली विविद्यालय से कानून में स्नातक की डिग्री ली और सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट-ऑन रिकॉर्ड रहे. उन्होंने अपनी वकालत इलाहाबाद हाईकोर्ट व उसकी लखनऊ बेंच, दिल्ली हाईकोर्ट के अलावा अन्य हाईकोर्ट तथा निचली अदालतों में की है.
उन्हें 22 सितंबर, 2017 को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और 6 सितंबर, 2019 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थायी कर दिया गया था. फिर 11 अक्टूबर, 2021 को उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया था.
न्यायमूर्ति सिंह ने युवा वकीलों को सलाह दी कि वे अपना उत्साह बनाए रखें और कभी हार न मानें. आपके सामने आने वाली चुनौतियां आपको आकार देंगी. उन्होंने कहा कि भले ही कोई आपके साथ कोई खड़ा न हो और वे जिस चीज के लिए खड़े हैं वह न्यायसंगत और गौरवपूर्ण है, तो उन्हें आगे बढ़ना चाहिए. न्यायमूर्ति ने अपने कर्मचारियों एवं रजिस्ट्री को भी समर्थन के लिए धन्यवाद किया.
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-भारत एक्सप्रेस
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