सत्र अदालत ने वर्ष 2016 में फिरौती के लिए अपहरण के एक मामले में गवाहों के मुकरने की वजह से तीन लोगों को बरी कर दिया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल पाहुजा ने कहा कि तीनों गवाह हमलावर के रूप में आरोपियों की पहचान करने में विफल रहे हैं. तीन गवाह में दो पीड़ित और तीसरा शिकायतकर्ता (पीड़ित का पिता) था.
न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में कॉल रिकार्डिग या कॉल डिटेल रिकॉर्ड जैसे कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है और न ही कोई फोरेंसिक साक्ष्य है, जो आरोपियों को अपराधी साबित करता हो. अभियोजन पक्ष ने आरोपियों की भूमिका को जोड़ने या उन्हें जिम्मेदार ठहराने के लिए कोई अन्य सबूत पेश नहीं किया.
पीड़ित सहित सभी मुख्य गवाह आरोपियों की पहचान करने में विफल रहे. इसलिए उनकी पहचान स्थापित नहीं हो पाई. उन्होंने उक्त टिप्पणी करते हुए संदेह का लाभ देते हुए राहुल यादव, भरत यादव और इकबाल उर्फ काला को सभी आरोपों से बरी कर दिया.
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मामले के अनुसार आरोपियों ने शिकायतकर्ता के बेटे और उसके चालक का अक्टूबर 2015 में अपहरण कर लिया था और 60 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी. इस मामले में फतेहपुरी बेरी थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
-भारत एक्सप्रेस
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