वक्फ संशोधन कानून के अमल में आने के बाद पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में समय के आभाव के चलते सुनवाई नही हो पाई. जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ जल्द इस मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगी.
यह याचिका पश्चिम बंगाल के रहने वाले देवदत्त माजी और मणि मुंजाल ने दायर की है. इस महीने वक्फ या इस्लामी धर्मार्थ बंदोबस्त के विनियमन और प्रबंधन के लिए नए कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद हिंदुओं पर कथित हमलों का हवाला देते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने अनुच्छेद 355 के तहत केंद्र सरकार से राज्य की स्थिति पर रिपोर्ट पेश करने और हिंसा की जांच के लिए एक विशेष समिति बनाने की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा और वक्फ कानून के विरोध में हिंसा का हवाला दिया गया है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से वर्ष 2022 से 2025 तक राज्य में हुई हिंसाओं की जांच करने और हिंसा प्रभावित इलाकों में केंद्रीय में केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की है.
याचिका में विशेष रूप से मुर्शिदाबाद की हिंसा का जिक्र किया गया है, जिसमें हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया था. इसके अलावा 6 अप्रैल को कोलकाता में रामनवमी के मौके पर हुई हिंसा और बीरभूम में होली के दौरान हुई हमले का भी उल्लेख किया गया हैं. याचिका में संदेशखली कई घटनाओं का भी जिक्र किया गया है, जिसमें आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता शाहजहां शेख ने यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के मामले में शामिल रहे है.
इससे पहले राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग पर जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप चाहते है कि हम राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए रिट जारी करें. अभी हमें विधायी और कार्यपालिका के अधिकारों में दखल देने के लिए दोषी ठहराया जा रहा है. राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने यह टिप्पणी की.
विष्णु शंकर जैन ने 2021 में पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद कि हिंसा के बाद राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. जैन ने कहा था कि 2021 के मामले में अदालत पहले ही नोटिस जारी कर चुकी है औरइस पर विचार किया जा रहा है.
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-भारत एक्सप्रेस
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