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क्या हैं हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग, कही आप भी तो नहीं कर रहे हैं, बच्चे का कॉन्फिडेंस हो सकता है खत्म

Helicopter Parenting: दुनिया में हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा एक सफल इंसान बने. सफलता हासिल करने के लिए वे बच्‍चों को गलतियां ना करने की सलाह भी देते हैं. हर तरह से उन्‍हें प्रोटेक्‍ट करने की कोशिश करते हैं, भले ही बच्‍चा इस वजह से गलतियां करने से बच जाए, लेकिन ऐसा करने से वह निर्णय लेने की क्षमता खोने लगते हैं. छोटी-छोटी बातों के लिए आप पर निर्भर हो जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पेरेंटिंग के इस स्‍टाइल को हेलीकाप्टर पेरेंटिंग के नाम से जाना जाता है.

दरअसल, पेरेंटिंग में माता-पिता अपने बच्चे के लाइफ में जरूरत से ज्‍यादा इनवॉल्‍व हो जाते हैं और इस वजह से बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य, आत्मविश्‍वास, कॉम्‍पटीशन की भावना आदि पर नकारात्‍मक असर पड़ने लगता है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि हेलीकाप्टर पेरेंटिंग क्या होता है और इससे बच्चो पर कैसे असर होता है.

क्या है हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग?

बच्चों को लाड़ प्यार से पालने के चक्कर में आजकल माता-पिता उन्हें कुछ नहीं करने देते. उन्हें अकेले बाहर तक जाने से भी रोकते हैं, इतना ही नहीं गार्डन भेजने से भी डरते हैं, उन्हें छोटे-मोटा सामान लेने के लिए भी बाजार नहीं जानें देते हैं, उनके निर्णयों में भी दखलअंदाजी करते हैं. इसी हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के कारण हम बच्चों को अपने निर्णय खुद लेने ही नहीं देते.

कई बार पेरेंट्स इसी ओवर प्रोटेक्शन के चक्कर में बच्चों पर सख्ती तक दिखाना शुरू कर देते हैं, जिससे उनपर और भी ज्यादा असर होता है. ऐसे में बच्चे सही उम्र में आत्मनिर्भर नहीं हो पाते. ऐसे में उन्हें भविष्य में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बच्चे खुद को कमजोर समझने लगते हैं वे लाइफ में आने वाली परेशानियों को खुद हैंडल नहीं कर पाते.

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हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग का बच्चो पर असर

अगर आप हर समय अपने बच्चे के आस-पास मंडराते रहते हैं तो यह गलत हैं क्योंकि कभी-कभी बच्चे इस बात से फ्रस्ट्रेट हो जाते हैं कि उन्हें अपनी मर्जी से कुछ भी करने की आजादी नहीं है, जिससे उनमें चिंता और तनाव का कारण बन सकता है.

कॉन्फिडेंस हो सकता है खत्म

दुनिया में हर माता-पिता अपने बच्चे को एक सफल इंसान बनाना चाहते हैं लेकिन अगर उनके लाइप में हद से ज्यादा दखल देना भी मुसीबत बन सकता है. जब माता-पिता हर चीज में दखल देनें लगते हैं तो बच्चे खुद के फैसले लेने से भी डरते हैं. उन्हें लगता है कि वे माता-पिता कुछ भी सही से नहीं कर सकते.

समस्या सुलझाने की क्षमता में कमी

जब माता पिता बच्चो की लाइफ में दखल हद से ज्यादा दखल देना शुरू कर देते हैं तब बच्चे छोटी-छोटी मुश्किलों का सामना करना और उन्हें हल करना सीखते ही नहीं, क्योंकि माता-पिता हमेशा उनके सामने समाधान पेश कर देते हैं.

दोस्तों से घुलने-मिलने में दिक्कत

मां-बाप अपने बच्चों पर हद से ज्यादा रोक टोक करने लगते हैं जिसकी वजह से बच्चों को दोस्त बनाने और दूसरों के साथ अच्छे से घुलने-मिलने में दिक्कत होने लगती है, क्योंकि वे हमेशा माता-पिता के ‘सुरक्षा कवच’ में रहते हैं.

-भारत एक्सप्रेस 

Akansha

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